कोरोना होने पर कैसे करें देखभाल, कब लें रेमडेसिविर, जानें देश के दिग्गज 3 डॉक्टरों से

COVID-19 Patients: दिल्ली के AIIMS के डायरेक्ट रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि 85% लोग रेमडेसिविर या किसी इलाज के ही ठीक हो जाते हैं.

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Picture: mygov.in

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देश कोरोना महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहा है. ऐसे में AIIM-दिल्ली के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया, नारायण हेल्थ के चेयरमैन डॉ देवी शेट्टी और मेदांता के चेयरमैन डॉ नरेश त्रेहन ने मरीजों की देखभाल से लेकर वैक्सीन के मुद्दों पर जवाब दिए हैं.

घर पर क्वारंटीन मरीजों के देखभाल पर जानकारी देते हुए नारायण हेल्थ के चेयरमैन डॉ देवी शेट्टी ने कहा कि अगर आपको ऑक्सीजन स्तर 94 फीसदी से ऊपर है तो कोई दिक्कत की बात नहीं है. लेकिन हल्की कसरत या टहलने के बाद अगर आपके ऑक्सीजन स्तर में गिरावट आती है तो आपको डॉक्टर को संपर्क करना चाहिए. ये जरूरी है कि मरीजों को सही समय पर उपचार मिले.

वहीं अगर एसिम्प्टोमैटिक हैं यानी आप में कोरोना के कोई लक्षण नहीं है तो डॉक्टरों की सलाह है कि आप घर पर ही पृथकवास में रहें, मास्क पहनें और ऑक्सीजन का स्तर हर 6 घंटे में चेक करते रहें.

डॉ शेट्टी ने कहा कि अगर आपको शरीर में दर्द है, जुखाम है, कफ या बदहजमी और उल्टियां हैं तो आपको तुरंत कोविड-19 टेस्ट कराना चाहिए. ये बहुत जरूरी हैं.

वहीं डॉ नरेश त्रेहन ने समझाया कि अगर आपको ऑक्सीजन की जरूरत नहीं है तो बचाव के तौर पर इसका इस्तेमाल ना करें. इससे ना सिर्फ ऑक्सीजन की बर्बादी होगी बल्कि जिसे इसकी जरूरत है उस तक भी ये नहीं पहुंचेगी.

त्रेहन ने कहा कि उन्होंने प्रोटोकॉल बनाया है कि जो भी कोरोना पॉजिटिव हैं उनमें सभी को रेमडेसिविर नहीं दिया जाएगा. जब डॉक्टर मरीज के लक्षण, टेस्ट के नतीजों और अन्य गंभीर बीमारियों की जांच कर लेते है तभी उन्हें रेमडेसिविर दी जाएगी. उन्होंने कहा कि रेमडेसिविर रामबाण नहीं है, वो सिर्फ जरूरतमंदों में वायरल लोड कम करता है.

त्रेहन ने कहा कि देश में बढ़ते कोरोना मामलों से स्वास्थ्य सेवाओं और सुविधाओं पर बोझ बढ़ रहा है जिससे दिक्कतें हो रही हैं. इससे लड़ने के लिए वे अस्पतालों में बेड के इस्तेमाल में विवेक से काम लेने की बात कहते हैं.

उन्होंने कहा कि सिर्फ कुछ ही लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ती है. अस्पतालों के बेड को जिम्मेदारी के साथ इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

रेमडेसिविर पर जानकारी देते दिल्ली के AIIMS के डायरेक्ट रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि 85 फीसदी लोग रेमडेसिविर या किसी इलाज के ही ठीक हो जाते हैं. अक्सर लोगों को जुखाम, गला खराब होने जैसे लक्षण आते हैं. 5-7 दिनों में वे लक्षणों के इलाज से ठीक हो जाते हैं, सिर्फ 15 फीसदी लोगों में बीमारी होती है.

Published - April 21, 2021, 05:54 IST