कोविड-19 से अनाथ हुए 577 बच्चों की मिली जानकारी, सरकार कर रही मॉनिटरिंग

Covid-19: केंद्र सरकार ने वात्सल्य योजना के तहत सभी जिलों को 10-10 लाख रुपये का प्रावधान किया है ताकि इन बच्चों को समय पर मदद दी जा सके.

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लखनऊ RTE के तहत प्रवेश पाने वाले 12,770 बच्चों के साथ इस सूची में शीर्ष पर रहा, जबकि वाराणसी 8,655 बच्चों के साथ दूसरे स्थान पर और कानपुर नगर 6,078 प्रवेश के साथ तीसरे स्थान पर रहा.अलीगढ़ में कुल 4,864 बच्चों ने, जबकि मुरादाबाद में 4,202 बच्चों ने प्रवेश लिया. 

लखनऊ RTE के तहत प्रवेश पाने वाले 12,770 बच्चों के साथ इस सूची में शीर्ष पर रहा, जबकि वाराणसी 8,655 बच्चों के साथ दूसरे स्थान पर और कानपुर नगर 6,078 प्रवेश के साथ तीसरे स्थान पर रहा.अलीगढ़ में कुल 4,864 बच्चों ने, जबकि मुरादाबाद में 4,202 बच्चों ने प्रवेश लिया. 

Covid-19: कोरोना की दूसरी लहर में जहां कई घर बर्बाद हुए वहीं, कई बच्चे भी अनाथ हो गए. कोरोना (Covid-19) से देश में अब तक 577 बच्चों ने अपने माता-पिता खो दिया है.

केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्रालय के मुताबिक, इनमें से ज्यादातर बच्चे अपने सगे संबंधियों के साथ रह रहे हैं.

मंत्रालय इन सभी बच्चों के पुनर्वास के लिए राज्य सरकारों के साथ लगातार संपर्क में है. वहीं, अनाथ हुए बच्चों की फोटो डालकर सोशल मीडिया पर इनके नाम पर मदद की गुहार लगाई जा रही है. यह अपराध की श्रेणी में आता है.

बच्चों को लेकर सरकार काफी गंभीर

कोरोना की वजह से अपने माता-पिता को खो चुके बच्चों को लेकर सरकार काफी गंभीर है और उनकी सुरक्षा और देखभाल के लिए नजर बनाए हुए है.

इस बारे में जानकारी देते हुए, केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि केंद्र सरकार कोविड-19 से माता-पिता दोनों की खो चुके प्रत्येक असहाय बच्चे की सहायता और सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.

केंद्रीय मंत्री ने एक ट्वीट में कहा कि इस साल 1 अप्रैल से अब तक राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों ने 577 ऐसे बच्चों की जानकारी दी है, जिनके माता-पिता की कोविड महामारी के कारण मृत्यु हो गई.

उन्होंने कहा कि मंत्रालय सभी राज्यों के साथ लगातार संपर्क में है.

बच्चों को परामर्श व सामाजिक सुरक्षा देने का प्रावधान

महिला व बाल विकास मंत्रालय के सचिव राम मोहन मिश्रा ने बताया कि ऐसे सभी बच्चों को वात्सल्य योजना के तहत परामर्श, सामाजिक सुरक्षा देने का प्रावधान है.

केंद्र सरकार ने इस योजना के तहत सभी जिलों को 10-10 लाख रुपये का प्रावधान किया है ताकि इन बच्चों को समय पर मदद दी जा सके. इसके लिए जिला अधिकारी को अधिकार दिए गए हैं.

सोशल मीडिया में बच्चों की फोटो डालना अपराध

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव राम मोहन मिश्रा ने बताया कि इन दिनों कोरोना से अनाथ हुए बच्चों की फोटो डालकर सोशल मीडिया पर इनके नाम पर मदद की गुहार लगाई जा रही है.

यह अपराध की श्रेणी में आता है और नैतिकता के आधार पर भी ठीक नहीं है. जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत इन बच्चों की पहचान उजागर नहीं की जा सकती.

मंत्रालय ने ऐसी कई ट्वीट्स और सोशल मीडिया के संदेश को ट्रैक कर साइबर क्राइम को जांच के लिए भेजा है.

Published - May 27, 2021, 08:26 IST