Coronavirus Variants: स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी दी है कि भारत में कोरना वायरस के कुल 771 नए वेरिएंट मिले हैं. जिसमें से एक डबल म्यूटेंट वेरिएंट भी मिला है. वहीं दूसरी ओर भारत में इस साल के सबसे ज्यादा कोरोना मामले पिछले एक दिन में पाए गए हैं. 25 मार्च की सुबह 8 बजे तक के अपडेट के मुताबिक पिछले 24 घंटों में 53,000 से ज्यादा नए मामले सामने आए हैं. हालांकि मंत्रालय ने साफ कहा है कि बढ़ते मामलों को नए वेरिएंट से संबंध स्थापित नहीं हो पाया है. लेकिन बढ़ते मामलों और कोरोना वायरस के नए वेरिएंट कितनी चिंता की बात हैं और क्या वैक्सीन इनपर भी कारगर है, इन सभी का जवाब दिया ICMR के साइंटिस्ट और रिसर्चर डॉ समीरन पांडा ने.
पांडा का कहना है कि वायरस में म्यूटेशन होना आम है. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि वेरिएंट (Coronavirus Variants) से ज्यादा तेजी से ट्रांसमिशन होने का खतरा जरूर रहता है. वायरस भी सर्वाइवल के लिए म्यूटेट करते रहते हैं और जीनोम सिक्वेंसिंग के जरिए इनकी मैपिंग और इन वेरिएंट्स पर नजर रखी जा रही है.
बढ़ते मामलों की रोकथाम के लिए ज्यादा से ज्यादा वैक्सीन लगाने की जरूरत है. वायरस के फैलने का खतरा उनसे सबसे ज्यादा है जो बाहर निकल रहे हैं, काम पर या किसी और वजह से बाहर आना-जाना हो रहा है. ऐसे में क्या वैक्सीनेशन को युवाओं पर केंद्रित करना चाहिए? पांडा मानते हैं कि वैक्सीनेशन में प्राथमिकता 45 वर्ष से ज्यादा के ही लोगों ही देनी चाहिए क्योंकि उनकी जान जाने का खतरा ज्यादा है. साथ ही उनका कहना है कि वैक्सीन नए वेरिएंट्स (Variants) पर भी उतनी ही कारगर है.
1 अप्रैल से भारत में 45 वर्ष से ऊपर के सभी लोगों को वैक्सीन दी जाएगी. भारत अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों के प्रति भी वैक्सीन का सप्लाई कर रहा है. डॉ पांडा मानते हैं कि सरकार वैक्सीन की आपूर्ति को लेकर चर्चा कर रही है और इसमें भारत की जरूरत का ख्याल रखा जाएगा.
वहीं उनकी सख्त हिदायत है कि वायरस का संक्रमण रोकने के लिए लोगों को ऐहतियात बरतनी होगी. वैक्सीन लगने के बाद भी इसमें ढिलाई नहीं की जा सकती. भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना होगा और जितना हो सके कोविड-19 की रोकथाम के अनुकुल व्यवहार का पालन करना होगा.