वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने चीन की कोविड-19 वैक्सीन सिनोफार्म (Sinopharm) को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी दे दी है. इस फैसले से चीन की बनी वैक्सीन के दूसरे देशों में इस्तेमाल बढ़ने के अनुमान है. WHO द्वारा चलाई जा रही वैक्सीन मुहिम कोवैक्स के अंतर्गत वैक्सीन अन्य देशों में भेजने के लिए उनका WHO से इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी पाना अनिवार्य है.
WHO ने शुक्रवार रात ट्वीट कर सिनोफार्म वैक्सीन को मंजूरी दिए जाने की जानकारी दी है. संस्था ने कहा कि इस वैक्सीन के इस्तेमाल के लिए अंतरिम पॉलिसी सुझाव भी जारी किए गए हैं.
चीन की 5 वैक्सीन में से ये पहली वैक्सीन है जिसे WHO की ओर से इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिली है और कोवोवैक्स के तहत अब इसका इस्तेमाल बढ़ने का अनुमान है.
सिनोफार्म वैक्सीन क बीजिंग बायो इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजी प्रोडक्ट्स ने तैयार किया है. ये कंपनी चाइना नेशनल बायेटेक ग्रुप की सब्सिडियरी है.
WHO today listed the Sinopharm #COVID19 vaccine for emergency use in all countries, a prerequisite for a potential #COVAX roll-out. Interim policy recommendations were also issued for the vaccine usage.
👉 https://t.co/wuvNptP1LV pic.twitter.com/hm6TlpLJSy
— World Health Organization (WHO) (@WHO) May 7, 2021
चीन में फिलहाल 5 वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिली हुई है. इनमें से सिनोफार्म और सिनोवैक वैक्सीन देश के अंदर और बाहर दोनों जगह इस्तेमाल में लाई जा रही है.
सिनोफार्म (Sinopharm) को अब तक 45 देशों में वयस्कों को लगाने के लिए मंजूरी दी गई है. मिडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस वैक्सीन के अब तक 6.5 करोड़ डोज लगाए जा चुके हैं. लेकिन कई देश इसलिए ये वैक्सीन लेने में हिचकिचा रहे थे क्योंकि इसे WHO से मंजूरी प्राप्त नहीं थी.
WHO से फिलहाल फाइजर-बायोनटेक, एस्ट्राजेनेका-एसकेबायो, सीरम इंस्टीट्यूट, जॉन्सन एंड जॉन्सन की वैक्सीन जैन्सन को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी प्राप्त है.
WHO के मुताबिक सिनोफार्म वैक्सीन को लक्षण वाले मरीजों में 79 फीसदी सफल पाया गया है. इस वैक्सीन को चीन में 18 से 59 वर्ष के लोगों के बीच के लोगों को लगाया जा रहा है.
हालांकि WHO ने वैक्सीन के लिए कोई ऊपरी सीमा तय नहीं की है. संस्था का कहना है कि क्लिनिकल ट्रायल में 60 साल से ऊपर के कम ही लोग शामिल थे इसलिए उनपर इसके असर का ज्यादा जानकारी नहीं है. लेकिन WHO इसलिए कोई ऊपरी उम्र सीमा नहीं रख रहा क्योंकि शुरुआती डाटा और इम्यूनेजेनेसिटी डाटा ये दिखलाता है कि ये बुजुर्गों में भी कारगर है.