वोडा आइडिया का 'दुख' खत्म काहे नहीं होता?
टेलीकॉम कंपनी ने बकाया फीस और चार्ज का भुगतान करने के लिए सरकार से अक्टूबर तक का समय मांगा है.
टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया की मुश्किलें कम होने के बजाए बढ़ती ही जा रही है. कंपनी में सरकार भी भागीदार बन गई है, कुमार मंगलम बिरला भी बोर्ड में शामिल हो गए हैं, लेकिन कंपनी को लेकर खराब खबरों का दौर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. हालात ऐसे हैं कि कंपनी अपनी लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम इस्तेमाल शुल्क (SUC) तक का भुगतान नहीं कर पा रही. जून तिमाही के लिए कंपनी ने लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम इस्तेमाल शुल्क का सिर्फ 10 फीसद भुगतान किया है, लाइसेंस फीस का 770 करोड़ बनता था जबकि कंपनी ने सिर्फ 77 करोड़ जमा किए हैं, वहीं स्पेक्ट्रम इस्तेमाल शुल्क के 137 करोड़ रुपए से सिर्फ 14 करोड़ जमा हो पाए हैं.
कंपनी ने बकाया फीस और चार्ज का भुगतान करने के लिए सरकार से अक्टूबर तक का समय मांगा है. इससे पिछली मार्च तिमाही में भी कंपनी अपनी पूरी लाइसेंस फीस चुकाने में नाकाम रही थी. वोडाफोन आइडिया ने सरकार ने 31 जुलाई तक का समय मांगा था. सरकार ने कंपनी का अनुरोध मान भी लिया था. लेकिन लाइसेंस एग्रीमेंट के तहत कंपनी को बकाया राशि पर इंटरेस्ट भी चुकाना होगा. इस तरह कंपनी पर कर्ज बढ़ता जा रहा है.
कंपनी पर कितना कर्ज?
वित्त वर्ष 2022-23 के अंत में कंपनी पर 2.09 लाख करोड़ रुपए का कुल कर्ज बकाया था. ये कर्ज अब और बढ़ता जा रहा है. ऐसे में संकट से घिरी कंपनी के कामकाज पर और असर पड़ सकता है. सरकार पहले ही कंपनी में 33.1% की हिस्सेदारी ले चुकी है. सरकार को ये हिस्सेदारी कंपनी पर बकाया कर्ज के कुल ब्याज के ऐवज में मिली है.
घटते जा रहे हैं यूजर
ऊपर से वोडाफोन आइडिया के यूजर महीने दर महीने घटते ही जा रहे हैं. ग्राहक वोडाफोन की सेवाओं को छोड़कर एयरटेल और जियो में ट्रांस्फर हो रहे हैं. अप्रैल 2023 में कंपनी ने करीब 30 लाख सब्सक्राइबर गंवाए. इससे पहले मार्च में 12 लाख और फरवरी में 20 लाख सब्सक्राइबर खोए थे. कंपनी के लिए जल्द हालात ठीक नहीं हुए समस्या और बढ़ सकती है. और इन हालात में कंपनी बंद हो गई तो भी बड़ी बात नहीं होगी.