अकासा एयर और उनके पायलट्स का विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. अब विमानन कंपनी को बिना उचित नोटिस के नौकरी छोड़ने वाले पायलट मुश्किल में फंस गए हैं. कोर्ट ने पायलट के खिलाफ मामले में आगे बढ़ने की अनुमति देते हुए अकासा एयरलाइन को बड़ी राहत दी है. दरअसल, एयरलाइंस ने पायलट के खिलाफ 21 करोड़ रुपए हर्जाने का दावा करते हुए कोर्ट में याचिका दायर की थी. इसके बाद मामले की सुनवाई के बाद बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि अकासा एयर मुंबई में उन पायलटों से कॉन्ट्रैक्चुअल डैमेज यानी संविदात्मक हर्जाना मांगने के मामले में आगे बढ़ सकती है, जिन्होंने कथित तौर पर बिना नोटिस अवधि के कंपनी छोड़ दी थी.
हालांकि दूसरी तरफ, पायलटों ने कहा था कि वह मुंबई में नहीं रहते हैं इसलिए यहां उनपर मुकदमा न चलाया जाए. न्यायाधीश जस्टिस एसएम मोदक ने कहा है कि अकासा एयर मुंबई की अदालत में जा सकती है. इससे पहले अकासा एयर द्वारा दायर मुकदमे पर सुनवाई करना उसके अधिकार क्षेत्र में है कहते हुए कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था. गौरतलब है कि अकाशा एयर ने उचित नोटिस अवधि के बिना कथित तौर पर एयरलाइंस को छोड़ने के लिए छह पायलटों से 21 करोड़ रुपए के मुआवजे की मांग करते हुए हाईकोर्ट गई थी.
अकाशा एयर का संचालन करने वाली कंपनी एसएनवी एविएशन प्राइवेट लिमिटेड ने अपने याचिका में कहा था कि इन पायलटों ने छह महीने की अनिवार्य नोटिस अवधि पूरी किए बिना अचानक कंपनी छोड़ दी थी. इससे विमानन कंपनी को सेवा देने में असुविधा हुई. कई उड़ानें कैंसिल करने के चलते यात्रियों को भी नुकसान झेलना पड़ा . कंपनी इन पायलटों को अनुबंध के उल्लंघन के लिए 18 लाख रुपए और उड़ान रद्द होने, रिशिड्यूलिंग और ग्राउंडिंग के कारण एयरलाइन की छवि को हुए नुकसान के लिए 21 करोड़ रुपए का भुगतान करने का निर्देश देने के लिए अदालत की मदद ली थी. साथ ही एयरलाइन ने पायलटों को उनकी नोटिस अवधि पूरी करने का निर्देश देने के लिए अंतरिम राहत की भी मांग की थी. वरिष्ठ वकील जनक द्वारकादास कानूनी फर्म ट्राइलीगल के साथ अकासा एयर की तरफ से दलीलें रख रहे हैं, जबकि पायलटों का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता डेरियस खंबाटा के साथ-साथ वकील श्रीनिवास बोबडे और लॉ फर्म रश्मिकांत एंड पार्टनर्स के रोहन दक्षिणी द्वारा किया जा रहा है.