अदानी ग्रुप और हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित पैनल ने अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है. इस रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उसे ऐसा कुछ नहीं मिला जिससे यह माना जाए कि बाजार नियामक SEBI ने कोई नियामकीय चूक की है. लेकिन अदानी समूह से जुड़े 13 विदेशी एंटिटी के मालिकाना हक पर सवाल बना हुआ है.
समिति को तीन मामलों की जांच करनी थी. अदानी समूह में न्यूनतम पब्लिक शेयरहोल्डिंग, रिलेटेड ट्रांजेक्शन और शेयरों की कीमतों में मैनिपुलेशन. समिति ने कहा कि उसके लिए यह कह पाना मुश्किल है कि कोई चूक हुई है और इस मामले में बाजार नियामक SEBI जांच करे. कोर्ट ने कहा कि SEBI को समय सीमा के भीतर जांच करनी होगी. समिति ने एक अहम बात यह बताई कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद अदानी समूह के शेयरों में छोटे निवेशकों की भागीदारी बढ़ी है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट की रिपोर्ट आने के बाद अदानी समूह के 10में 9 शेयरों में उछाल देखा गया.
अदानी और हिंडनबर्ग मामले में शेयर कीमतों में हेराफेरी के मामले में पैनल ने कहा है कि यह नहीं कहा जा सकता कि सेबी की तरफ से कोई चूक हुई है. समिति ने कहा कि इस बारे में भी कुछ नहीं कहा जा सकता कि न्यूनतम पब्लिक शेयर होल्डिंग या रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शन के मामले में किसी तरह की नियामक विफलता हुई है.
हालांकि, रिपोर्ट के अनुसार SEBI को लंबे समय से यह संदेह था कि 13 विदेशी इकाइयों के जरिए आने वाले कुछ पब्लिक शेयरहोल्डर वास्तव में कंपनी के प्रमोटर्स के फ्रंट ही हो सकते हैं. लेकिन CBDT, ED जैसी तमाम एजेंसियों की जांच के बावजूद SEBI अभी इन 13 एंटिटी के वास्तविक मालिकों का पता नहीं लगा पाया है. पैनल ने कहा है कि सभी जांच को समय सीमा के अंदर पूरा होना चाहिए.
समिति को इस बात के प्रमाण मिले हैं कि अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग ग्रुप की रिपोर्ट आने से पहले अदानी समूह के शेयरों में शॉर्ट पोजिशन बिल्ड की गई.
इस साल जनवरी में आई अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में अडानी समूह पर कई गंभीर आरोप लगाए गए थे. इसमें यह आरोप थे कि अदानी समूह ने टैक्स हैवन देशों के जरिए निवेश किया है और शेयरों में हेराफेरी की है. अडानी समूह ने सभी आरोपों को निराधार बताया था. सुप्रीम कोर्ट की समिति के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस एएम सप्रे हैं.