नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनीज (NASSCOM) और इनडीड द्वारा किए गए एक सर्वे के मुताबिक 10 में से 8 कंपनी गिग मॉडल को अपनाने की संभावना तलाश कर रही हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिकांश संगठन सक्रिय रूप से गिग वर्कर्स को काम पर रखने में लगे हुए हैं. दूसरी ओर करीब 30 फीसद बड़े संगठन अभी भी डेटा की सुरक्षा को लेकर चिंता और ग्राहक प्राथमिकताओं जैसे कारकों की वजह से गिर मॉडल के लिए खुद को नहीं खोल पा रहे हैं.
रिपोर्ट के अनुसार जेन Z (1990 के दशक के अंत और 2010 के शुरू में जन्म लेने वाले) और मिलेनियल्स (1980 के दशक की शुरुआत और 1990 के दशक के अंत में जन्म लेने वाले) नौकरी के लिए स्थान को लेकर लचीलापन और विशेष कौशल के लिए गिग वर्कर के तौर पर काम का चुनाव कर रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, डेटा एनोटेशन और बिजनेस एनालिटिक्स जैसे डोमेन में भी गिग वर्कर्स को काम पर रखा जा रहा है. सर्वे में 185 कंपनियों और करीब 2,500 श्रमिकों को शामिल किया गया.
देश में टियर-2 और टियर-3 शहरों में गिग मॉडल का लगातार विस्तार हो रहा है. दरअसल, यहां पर कंपनियों को स्किल्ड गिग वर्कर्स मिल रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार अधिकांश कंपनियां मिलाजुला और लचीले कार्य दृष्टिकोण अपना रही हैं. कंपनियां कर्मचारियों को प्रोत्साहित करने आदि के लिए रणनीतियां बना रही हैं. सर्वे में पाया गया कि गिग उद्योग उन अनुभवी पेशेवरों के लिए भी रोजगार पाने की जगह बन गया है जो अपने कामकाज में संतुलन के साथ कौशल बढ़ाना चाहते हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर कंपनियां सक्रिय रूप से गिग श्रमिकों को काम पर रख रही ही हैं. अब आईटी कंपनियों ने गिग उद्योग के लिए अपने दरवाजे खोल दिए हैं. 10 आईटी कंपनियों में से 6 फ्रीलांस कर्मचारियों को नियुक्त करती हैं जबकि साल 2022 में 10 में से महज 2 आईटी कंपनियां ही फ्रीलांस कर्मियों से काम लेती थीं. इनमें टीसीएस, इन्फोसिस और एलटीआई माइंडट्री जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं. बता दें कि देश की शीर्ष दो प्रौद्योगिकी सेवा कंपनियों ने टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) और इंफोसिस ने एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में तीसरी तिमाही में कुल कर्मचारियों की संख्या में करीब 35,000 की कमी दर्ज की है.