भारतीय अर्थव्यवस्था की मौजूदा रफ्तार में भारत के सूक्ष्म, लघु और मध्यम कारोबार यानि MSME ईकोसिस्टम का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. लेकिन एमएसएमई सेक्टर के लिए कारोना काल किसी बड़े झटके से कम नहीं रहा है. लेकिन उसके बाद से यह सेक्टर तेजी से बाउंस बैंक कर रहा है. कोविड-19 महामारी के बाद के वर्षों में यह सेक्टर तेजी से प्रगति कर रहा है. वित्त वर्ष 2021 और वित्त वर्ष 2022 के दौरान, भारत के ग्रॉस वैल्यू एडेड यानि GVA में एमएसएमई की हिस्सेदारी भी तेजी से बढ़ी है.
कोरोना के बाद से एमएसएमई उद्योग की प्रगति कैसी रही है और इन्हें मिलने वाले कर्ज की परिस्थिति क्या है. इसे लेकर यू ग्रो कैपिटल और डन एंड ब्रैडस्ट्रीट ने एक एक संयुक्त रिपोर्ट पेश की है. इस रिपोर्ट का शीर्षक ‘MSME संपर्क बाई-एनुअल रिपोर्ट ऑन द लेटेस्ट इन द एमएसएमई लेंडिंग ईकोसिस्टम‘ है. यह रिपोर्ट बताती है कि भारत के छोटे एवं मझोले उद्योग कोविड महामारी के प्रभाव के बाद आज किस स्थिति में हैं. इसके अलावा यह रिपोर्ट इन बातों पर प्रकाश डालती है कि महामारी के बाद इस सेक्टर में कर्ज की स्थिति क्या है, इन छोटे उद्योगों को बैंक एवं अन्य वित्तीय संस्थानों से किस प्रकार कर्ज मिलता है, साथ ही इन्हें मिलने वाले कर्ज का आकार कितना है.
बेहतर भविष्य की उम्मीद
रिपोर्ट में बेहतर भविष्य की उम्मीद की किरण दिखाई देती है. रिपोर्ट बताती है कि किस प्रकार घरेलू मांग और मुनाफे में मजबूती की उम्मीद दिखाई दे रही है. इसके साथ ही रिपोर्ट में सामने आया है कि आने वाले वक्त में एमएसएमई की ओर से पूंजीगत व्यय में तेजी दिखाई दे सकती है. साथ ही रोजगार के मोर्चे पर भी एमएसएमई एक बड़ा योगदान देने की तैयारी में हैं.
रिपोर्ट पेश करते हुए यू ग्रो कैपिटल के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर शचींद्र नाथ ने कहा कि यह रिपोर्ट भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहीं एमएसएमई की भूमिका पर प्रकाश डालती है. साथ ही यह रिपोर्ट बताती है कि एमएसएमई किस प्रकार भारत में इनोवेशन, इकोनोमिक ग्रोथ और रोजगार के मोर्चे पर भी अहम योगदान दे रहा है.
डन एंड ब्रैडस्ट्रीट के एमडी और सीईओ अविनाश गुप्ता बताते हैं कि भारत का लक्ष्य 2047 तक 30 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है. वहीं एमएसएमई की बात करें तो ये छोटे उद्योग भारत की जीडीपी में लगभग एक तिहाई का योगदान करते हैं. यह जरूरी है कि एमएसएमई मजबूती के साथ आगे बढ़ें. लेकिन इसमें करीब 11.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश की जरूरत होगी. डन एंड ब्रैडस्ट्रीट और यूजीआरओ कैपिटल की इस जॉइंट रिपोर्ट में एमएसएमई के पर्फोर्मेंस, क्रेडिट व्यवहार और वित्तीय माहौल को ट्रैक करने का प्रयास किया गया है. रिपोर्ट से पता चलता है कि एमएसएमई कोरोना के झंटके से अब तेजी से उबर रहा है. कर्ज की मौजूदा कठिन परिस्थिति के बावजूद एमएसएमई तेजी से ग्रोथ कर रहे हैं.
कोरोना के झटके से उबरा MSME सेक्टर
महामारी के बाद, भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना हुआ है। स्थिर कीमतों (2011-12) पर भारत का वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2023 की जुलाई-सितंबर तिमाही में उम्मीद से अधिक 7.6% की वृद्धि हुई है. पूरे वित्तीय वर्ष के लिए, अर्थव्यवस्था में 7.3% की वृद्धि दर्ज करने की उम्मीद है , जबकि एक साल पहले यह 7.2% थी। इस पृष्ठभूमि में, रिपोर्ट कहती है कि महामारी के बाद, छोटी संस्थाओं में अच्छी रिकवरी देखी गई, हालांकि बड़ी इकाइयों की तुलना में इसकी रफ्तार फिलहाल धीमी है. रिपोर्ट में सामने आया है कि 10 करोड़ रुपये से कम टर्नओवर वाली 50% से अधिक संस्थाओं ने 10 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की है.
25000 MSME पर हुआ अध्ययन
इस रिपोर्ट को तैयार करने के दौरान तीन साल की अवधि में 25,000 से अधिक एमएसएमई का अध्ययन किया गया। अध्ययन में सामने आया है कि महामारी के दौरान देश भर में व्यापार और बिक्री में जोरदार गिरावट आई थी. लेकिन महामारी के बाद 77% एमएसएमई ने फिर से कारोबार शुरू किया. वहीं बाद के वर्षों में 68% से अधिक एमएसएमई ने 10% से अधिक साल-दर-साल बिक्री वृद्धि दर्ज की। इस ग्रोथ के चलते जोखिम के स्तर में गिरावट आई है और एमएसएमई क्षेत्र में चूक दर में सुधार हुआ है. जिसके परिणामस्वरूप, एमएसएमई द्वारा उधार लेने की संभावनाओं में सुधार हो रहा है. इसके परिणामस्वरूप बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों द्वारा एमएसएमई को दिए जाने वाले कर्ज में बढ़ोत्तरी हुई है.
एमएसएमई की क्रेडिट स्थिति
रिपोर्ट के अनुसार, एमएसएमई तेजी से यह महसूस कर रहे हैं कि आगे बढ़ने के लिए, औपचारिक मान्यता प्राप्त करना महत्वपूर्ण है, जिससे उन्हें औपचारिक संस्थानों (बैंकों और एनबीएफसी) से ऋण और सरकार से चल रही और भविष्य की योजनाओं द्वारा दिए जाने वाले विभिन्न लाभ प्राप्त करने में मदद मिलेगी। रिपोर्ट के अनुसार 2020 में उद्यम की शुरुआत के बाद से, प्लेटफॉर्म पर एमएसएमई पंजीकरण 2.4 गुना बढ़ गया है, जबकि उन्होंने वित्त वर्ष 23 तक 1.6 गुना अधिक रोजगार के अवसर पैदा किए हैं। 10,000 से अधिक सूक्ष्म आकार के एमएसएमई पर किए गए एक अध्ययन से पता चलता है कि इस क्षेत्र में ऋण की बढ़ती पहुंच उनके लचीलेपन और रिकवरी पर ऋणदाताओं के सकारात्मक दृष्टिकोण को दर्शाती है।
कर्ज देने में बैंकों की बढ़ी रुचि
एमएसएमई क्षेत्र का बढ़ता दायरा देख अब बैंक और वित्तीय संस्थानों की रूचि इसमें बढ़ रही है. सरकार भी एमएसएमई को औपचारिक बनाने की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रही है. भारत की लोन क्रेडिट 52 प्रतिशत के साथ उसके उसके एशियाई समकक्ष देशों में सबसे कम है. अन्य देशों की बात करें तो चीन 185%, दक्षिण कोरिया 175% और वियतनाम 126% के साथ अग्रणी देश हैं. दरअसल, भारत में अधिकांश राज्यों में सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) अनुपात के लिए बैंक लोन राष्ट्रीय औसत से नीचे है. भारतीय राज्यों की बात करें तो महाराष्ट्र, तेलंगाना, तमिलनाडु और दिल्ली का क्रेडिट-जीएसडीपी अनुपात राष्ट्रीय औसत से ऊपर है. अब केंद्र और राज्य सरकारें प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रोत्साहनों के जरिये एमएसएमई को औपचारिक बनाने में लगी है, जिससे एमएसएमई के लिए औपचारिक लोन बढने की संभावना जताई जा रही है.
एमएसएमई को बढ़ा कर्ज का आकार
कोविड-19 के बाद ऋणदाताओं द्वारा एमएसएमई को दिए जाने वाले लोन में बड़ी बढ़ोतरी हुई है. कारोबारियों को मिलने वाले कर्ज का आकार भी बढ़ गया है, जबकि महामारी के दौरान मिलने वाले राहत उपायों को हटाने के बाद इसके अप्रूवल की दरों में गिरावट आई है, यह बताता है कि महामारी के दौरान सरकार से मिली राहतों के हटने के बाद बैंक अब काफी सतर्कता के साथ कर्ज दे रहे हैं. महाराष्ट्र, गुजरात और नई दिल्ली लोन वितरण के मामले में देश के सबसे अग्रणी राज्यों में शामिल हैं. वहीं उद्योगों की बात की जाए तो लाइट इंजीनियरिंग, हॉस्पिटैलिटी और हेल्थकेयर ऐसे क्षेत्र हैं जिसमें सबसे ज्यादा लोन लिए गए हैं.
रिपोर्ट की मुख्य बातें
रिपोर्ट में शामिल क्षेत्रों से जुड़ी जरूरी बातें
लाइट इंजीनियरिंग
एमएसएमई में आयरन, स्टील और दूसरे मेटल वर्क से जुड़े उद्यमों का बाजार आकार सबसे बड़ा है और यह विभिन्न आकार की संस्थाओं में ऋण और कुल कारोबार के मामले में सबसे कारगर क्षेत्र भी है. इस सेग्मेंट के उद्यम पूरे भारत में देखे जाते हैं, हालांकि महाराष्ट्र की बाजार की भूमिका इसमें सबसे अहम है. साथ ही प्लास्टिक/ग्लास/सिरेमिक उत्पादों के लिए गुजरात इसका प्रमुख बाजार है.
फूड प्रोसेसिंग
एमएसएमई सेग्मेंट के फूड प्रोसेसिंग सेक्टर में पशु या वनस्पति वसा/तेल और मोम, खाने वाली चीजें, फल, मेवे और अनाज इसमें प्रमुख योगदानकर्ता हैं. अन्य क्षेत्रों की तुलना में इस सेग्मेंट में नकद लेनदेन सबसे ज्यादा होता है. इसकी मौजूदगी पूरे भारत में है, हालांकि महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान इसके प्रमुख बाजार हैं.
बिजली के उपकरण
विविध उपकरण और एप्लायंस, भारी उपकरण/कार्यालय मशीनें, इलेक्ट्रिक सर्किट कंपोनेंट और कम्यूनिकेशन में इस्तेमाल होने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण दूसरी प्रमुख सब इंडस्ट्री हैं. इसकी अखिल भारतीय उपस्थिति है, जिसमें महाराष्ट्र प्रमुख बाजार है. वहीं गुजरात और नई दिल्ली सब कैटेगरी हब हैं.
केमिकल इंडस्ट्री
इस सब सेक्टर में कारोबार का आधा हिस्सा कार्बनिक रसायनों, अकार्बनिक रसायनों और उर्वरकों से आता है. इसकी पूरे भारत में पहुंच है.
हेल्थ केयर सेक्टर
हेल्थकेयर डिलीवरी और सेवा (डीलर, वितरक, अस्पताल, डायग्नोस्टिक सेंटर) बाजार में बड़ी हिस्सेदारी रखते हैं. अन्य क्षेत्रों की तरह, छोटी संस्थाओं जैसे दंत चिकित्सालय, नेत्र चिकित्सालय और फार्मेसी को विकास के लिए धन की आवश्यकता होती है, जिसे विभिन्न व्यावसायिक ऋण और फाइनेंसिंग सॉल्यूशन के जरिए पूरा किया जा सकता है.
ऑटो कंपोनेंट
वाहन और वाहन के पुर्जे ऑटो कंपोनेंट उद्योग में एक बड़ा योगदान देते हैं, जबकि होटल, खाद्य, परिवहन और जनशक्ति सेवाएं बाजार का बड़ा हिस्सा हैं और इसमें भी बड़े पैमाने पर लोन लिया जाता है.