केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों (CPSE) में कर्मचारियों की संख्या घट रही है. इन उद्यमों में जो नई भर्तियां की जा रही हैं उनमें अनुबंध और दैनिक वेतन के आधार पर ज्यादा की जा रही हैं. इस बात का खुलासा साल 2012-13 से 2021-22 तक की सार्वजनिक उद्यम सर्वेक्षण रिपोर्ट के विश्लेषण में हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक दशक के दौरान इस क्षेत्र में कुल रोजगार में 2.7 लाख से अधिक की कमी दर्ज की गई है.
रिपोर्ट में पता चला है कि मार्च 2013 में सीपीएसई में कर्मचारियों की संख्या 17.3 लाख थी, जो मार्च 2022 तक घटकर 14.6 लाख रह गई. रिपोर्ट में 389 सीपीएसई को शामिल किया गया था, जिनमें से 248 परिचालन में हैं.
कॉन्ट्रैक्ट पर काम कराने का बढ़ा चलन
सार्वजनिक उपक्रमों की चुनिंदा कंपनियों में काम के तरीके में भी काफी बदलाव किया गया है. कंपनियां अब काॅन्ट्रैक्ट पर कर्मचारियाें से काम करा रही हैं. सर्वे के मुताबिक मार्च 2013 में, कुल 1.7 लाख कर्मचारियों में से 17% अनुबंध पर थे, जबकि 2.5% दैनिक वेतन वाले श्रमिकों के रूप में कार्यरत थे. जबकि 2022 में कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वालों की संख्या में 36% की बढ़त देखने को मिली है, वहीं दैनिक श्रमिकों की हिस्सेदारी बढ़कर 6.6% हो गई है. कुल मिलाकर, मार्च 2022 तक सीपीएसई में कार्यरत लोगों में से 42.5% अनुबंध या कैज्युअल श्रमिकों की श्रेणी में आ गए, जबकि मार्च 2013 में ये आकंड़ा महज 19% था.
इन दिग्गज कंपनियों की बिगड़ी हालत
कंपनी वार विश्लेषण से पता चलता है कि सात सीपीएसई हैं जहां पिछले दस वर्षों में कुल रोजगार में 20,000 से अधिक की कमी दर्ज की गई है. रोजगार के मामले में सबसे बुरी हालत दिग्गज दूरसंचार नेटवर्क कंपनी बीएसएनएल की रही है, यहां रोजगार लगभग 1.8 लाख कम हो गया है. इसके अलावा स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड और एमटीएनएल में भी 30-30 हजार से ज्यादा नौकरियां कम हुई हैं.
इन सरकारी कंपनियों ने खूब की नई भर्तियां
कई पीएसयू में जहां रोजगार की संख्या घटी है वहीं कुछ ऐसी सार्वजनिक कंपनियां भी हैं, जिन्होंने सबसे अधिक नौकरियां दी हैं. इनमें इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन सबसे आगे है. इस कंपनी ने पिछले दस वर्षों में लगभग 80,000 भर्तियां की. वहीं अन्य दस सीपीएसई ने भी इस अवधि में 10-10 हजार से ज्यादा लोगों की भर्तियां की हैं.