इजराइल-हमास (Israel-Hamas conflict) युद्ध से भारत की मुश्किलें भी बढ़ने वाली हैं. दरअसल, इजराइल को माल भेजने वाले भारतीय निर्यातकों को इजराइल-हमास संकट के चलते उच्च बीमा प्रीमियम और शिपिंग लागत का सामना करना पड़ सकता है. हमास के आतंकवादियों ने शनिवार को एक प्रमुख यहूदी अवकाश के दौरान इजराइल पर अप्रत्याशित हमला कर दिया था, जिससे वहां स्थिति बिगड़ गई. हमास ने इजराइल के खिलाफ अपने ऑपरेशन को ‘अल-अक्सा फ्लड’ नाम दिया है, जबकि इजराइल की सेना ने हमास के खिलाफ ‘सोर्ड्स ऑफ आयरन’ ऑपरेशन शुरू किया है. दोनों के बीच 7 से 8 लोकेशन पर लड़ाई जारी है.
अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञों का मानना है कि इस युद्ध से घरेलू निर्यातकों के मुनाफे कम हो सकते हैं. हालांकि स्थिति के ज्यादा न बिगड़ने तक व्यापार के आकार पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा. शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि भारत के व्यापारिक निर्यात के लिए संघर्ष के कारण बीमा प्रीमियम और शिपिंग लागत में वृद्धि हो सकती है. भारत की ईसीजीसी इजराइल को निर्यात करने वाली भारतीय कंपनियों से अधिक जोखिम प्रीमियम वसूल सकती है. ईसीजीसी लिमिटेड (पूर्व में एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) का पूर्ण स्वामित्व भारत सरकार के पास है. मुंबई स्थित निर्यातक एवं टेक्नोक्राफ्ट इंडस्ट्रीज इंडिया के संस्थापक अध्यक्ष शरद कुमार सराफ ने कहा, ‘अगर स्थिति बिगड़ती है, तो उस क्षेत्र के हमारे निर्यातकों के लिए चीजें खराब हो सकती हैं.’
जीटीआरआई के सह-संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि अगर इजराइल के तीन सबसे बड़े बंदरगाहों हाइफा, अशदोद और इलियट पर परिचालन बाधित हुआ तो व्यापार गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है. भारत-इजराइल का माल तथा सेवा क्षेत्रों में व्यापार 2022-2023 में 12 अरब अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है. सन फार्मा, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, विप्रो, टेक महिंद्रा, भारतीय स्टेट बैंक, लार्सन एंड टुब्रो और इंफोसिस जैसी भारतीय कंपनियों की इजराइल में उपस्थिति है. इजराइली कंपनियों ने भारत में नवीकरणीय ऊर्जा, रियल एस्टेट और जल प्रौद्योगिकियों में निवेश किया है. वे भारत में अनुसंधान एवं विकास केंद्र तथा उत्पादन इकाइयां भी स्थापित कर रही हैं. अप्रैल 2000 से जून 2023 के बीच इजराइली कंपनियों ने भारत में 28.6 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निवेश (एफडीआई) किया है.