दिवालियापन की प्रक्रिया से गुजर रही एयरलाइंस गो फर्स्ट क्या बहुत जल्द किसी भुगतान से चूकने वाली है? यह सवाल इस समय इसलिए खड़ा हो रहा है क्योंकि देश के बड़े सरकारी बैंक बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB) ने गो फर्स्ट को दिए कर्ज के लिए 500 करोड़ रुपए की प्रोविजनिंग की है. कोई बैंक प्रोविजनिंग तब करता है जब उसे यह आशंका होती है कि कंपनी कर्ज के भुगतान से चूक सकती है. गौरतलब है कि गो फर्स्ट ने एनसीएलटी में दिवालिया होने की अर्जी जरूर दी है लेकिन अभी तक किसी देनदारी पर डिफॉल्ट नहीं किया है.
प्रोविजनिंग की जानकारी बैंक के प्रबंध निदेशक संजीव चड्ढा ने मार्च तिमाही के नतीजे जारी करते हुए दी. इस खबर के बाद बैंक के शेयर में बुधवार के कारोबार में मुनाफा वसूली देखने को मिली. दिन के कारोबार में बैंक ऑफ बड़ौदा के शेयर ने 190 रुपए का उच्चतम स्तर छुआ. इसके बाद आई मुनाफा वसूली में शेयर 0.27 फीसद की गिरावट के साथ 185.85 के स्तर पर बंद हुआ.
गो फर्स्ट पर कुल 11463 करोड़ रुपए की देनदारी है जिसमें 6521 करोड़ रुपए बैंकों की ओर से दिए गए कर्ज का है. इसके अलावा तेल कंपनियों आदि का बकाया है. गो फर्स्ट ने दिवालियापन की जो अर्जी दी है उसमें बताया है कि सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, IDBI बैंक और डायचे बैंक शामिल हैं. इस बीच निजी बैंक एक्सिस बैंक की ओर से एक्सचेंज को यह जानकारी दी गई है कि उससे किसी भी तरह का कोई कर्ज गो फर्स्ट एयरलाइंस को नहीं दे रखा है.
आर्थिक संकट में फंसी गो फर्स्ट ने बुधवार शाम को एक बयान जारी कर कहा कि उसकी सभी उड़ानें अब 26 मई तक बंद रहेंगी. पहले कंपनी ने 24 मई तक विमानों का परिचालन नहीं करने का सूचना जारी की थी.