Gold Loan घटने से संकट में IIFL फाइनेंस, बैंकों ने भी छोड़ा साथ

बैंक इस समय इंतजार कर रहे हैं और स्थिती पर नजर बनाए हुए हैं.

Gold Loan घटने से संकट में IIFL फाइनेंस, बैंकों ने भी छोड़ा साथ

IIFL Finance को लिक्विडिटी की कमी का सामना करना पड़ रहा है. दरअसल मार्च की शुरुआत में RBI ने IIFL फाइनेंस को गोल्ड लोन बांटने से रोक दिया है. गोल्ड लोन बिजनेस पर लगी रोक के बाद बैंक कंपनी को लोन देने में काफी सतर्कता बरत रहे हैं. रॉयटर्स में छपी खबर के मुताबिक बैंक न तो नए कर्ज को मंजूरी दे रहे हैं और न ही पहले से मंजूर क्रेडिट लिमिट से कर्ज बांट रह हैं.

बैंकों ने IIFL Finance के गोल्‍ड लोन और दूसरे बिजनेस को कर्ज देना बंद कर दिया है. कुल कारोबार पर रोक से कंपनी पर लगभग 500 करोड़ रुपये का असर पड़ सकता है. आईआईएफएल फाइनेंस ने अभी तक इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है.

क्या था मामला?

दरअसल आईआईएफएल फाइनेंस कई तरह के लोन देने के अलावा गिरवी रखकर कर्ज बांटती है. लेकिन RBI ने सोने की शुद्धता की जांच और वेरिफिकेशन में खामियों के चलते IIFL फाइनेंस के गोल्ड लोन की मंजूरी, वितरण और बिक्री बंद करने का आदेश दिया. यह निर्देश सिर्फ गोल्‍ड लोन कारोबार सेवाओं के लिए दिया गया था.

पैसे जुटाने की तैयारी में बैंक

प्रतिबंधों के तुरंत बाद, IIFL फाइनेंस ने प्रस्तावित 40 करोड़ डॉलर बॉन्ड के जरिए पैसा जमा करने की योजना रद्द कर दी थी. इसके टॉप शेयरहोल्डर फेयरफैक्स इंडिया ने लिक्विडिटी से जुड़ी चिंताओं को दूर करने के लिए 20 करोड़ डॉलर तक की सहायता देने के लिए राजी हो गया था. कंपनी ने तब से बॉन्ड के जरिए 500 करोड़ रुपये जुटाए हैं और शेयरों के राइट्स इश्यू के जरिए 1,272 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही है.

बैंकों से कितना कर्ज लेती है कंपनी

बैंक इस समय इंतजार कर रहे हैं और स्थिती पर नजर बनाए हुए हैं. क्रेडिट रिस्क स्प्रेड करने के लिए बैंक को-लेडिंग व्यवस्था के तहत कर्ज बांटते हैं. 31 दिसंबर तक IIFL फाइनेंस की कुल उधारी का 57 फीसद बैंकों से थी.

लिक्डिटी में तेज गिरावट

रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार, IIFL फाइनेंस के पास 5 मार्च को लगभग 4,035 करोड़ रुपये की नकदी थी. लिक्विडिटी में यह गिरावट उम्मीद से कहीं अधिक तेज है क्योंकि कंपनी को अपने दूसरे बिजनेस को भी फंड करना है.

बच रहे हैं बैंक

दरअसल बैंकर्स ऐसी इकाई को कर्ज देने से बचना चाहते हैं जो नियामक की नजर में है. जब तक यब पता नही चलता कि कंपनी अनुपालन से संबंधित मुद्दों को कैसे सुलझाती हैं और बिजनेस को फिर से शुरू करने की योजना बनाती हैं, तब तक बैंक कर्ज देना अस्थायी रूप से रोकना पसंद करते हैं.

Published - May 7, 2024, 01:06 IST