दुनिया की सबसे बड़ी सहकारी संस्था इफको ने भारत में स्वदेशी रूप से अविष्कृत और निर्मित विश्व का पहला इफको नैनो यूरिया संयुक्त राज्य अमेरिका में निर्यात करना शुरू कर दिया है. इफको नैनो यूरिया को संयुक्त राज्य अमेरिका में निर्यात करने के संबंध में इफको और कपूर एंटरप्राइजेज इंकांर्पोरेटेड, कैलिफोर्निया ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं. संयुक्त राज्य अमेरिका को नैनो यूरिया का निर्यात प्रधानमंत्री के सहकार से समृद्धि और आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. सदी का नवाचार इफको नैनो यूरिया की कुल 5 लाख से अधिक बोतलें 25 से अधिक देशों में निर्यात की जा चुकी हैं.
नैनो यूरिया बेहतर पोषण गुणवत्ता के साथ उत्पादन बढ़ाता है और रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में भी कमी लाता है. यह जल, वायु और मृदा प्रदूषण को कम करता है जिससे भूमिगत जल और मिट्टी की गुणवत्ता पर इसका बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है. परिणामस्वरूप जलवायु परिवर्तन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, ग्लोबल वार्मिंग में महत्वपूर्ण कमी आती है जिससे सतत पोषणीय विकास होता है. इफको नैनो यूरिया (तरल) को पौधों के पोषण के लिए प्रभावी और दक्ष पाया गया है.
नैनो यूरिया मिट्टी में यूरिया का उपयोग कम करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की अपील से प्रेरित है. नैनो बायोटेक्नोलॉजी रिसर्च सेंटर, कलोल में विकसित मालिकाना तकनीक के माध्यम से इफको के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के कई वर्षों के समर्पित और ईमानदार शोध के बाद स्वदेशी रूप से नैनो यूरिया (तरल) को विकसित किया गया है.
इफको,पूरे विश्व के किसानों के लिए नैनो डीएपी तरल भी लेकर आई है. नैनो डीएपी पौधों की उत्पादकता को बढ़ाने वाला एक प्रभावी उत्पाद है. यह परंपरागत डीएपी से सस्ता है. साथ ही,यह वनस्पति और जीव-जंतुओं के प्रयोग लिए सुरक्षित और विषरहित है. इसके प्रयोग से परंपरागत डीएपी पर निर्भरता काफी कम हो जाती है तथा सभी स्तरों पर पैसे की बचत होती है.
इफको नैनो यूरिया तरल की 500मिली. की एक बोतल कम से कम एक बैग परंपरागत यूरिया को प्रतिस्थापित करेगी. इस बोतल के प्रयोग से परिवहन और गोदाम भंडारण लागत में काफी कमी आएगी. वाणिज्यिक बाजार में अपनी शुरुआत से ही इफको भारत में 5.7करोड़ नैनो बोतलों की बिक्री कर चुकी है. नैनो यूरिया और नैनो डीएपी दोनों ही उत्पाद कृषि उद्योग में बड़ा बदलाव लाकर सतत कृषि को नया आयाम प्रदान करेंगे.