दिवालिया घोषित होने की कगार पर खड़ी एयरलाइन कंपनी गो फर्स्ट की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. जिंदल पावर ने बोली लगाने से इंकार कर दिया है. टेकओवर बोलियां जमा करने की समय सीमा मंगलवार यानी आज खत्म हो गई है. हालांकि बैंकिंग सूत्रों का कहना है कि अदालतों में आवेदन के माध्यम से समय सीमा बढ़ाई जा सकती है, लेकिन लेनदार फिलहाल ऐसा करने के इच्छुक नहीं हैं. बता दें जिंदल पावर लिमिटेड भारत की एकमात्र ऐसी कंपनी थी, जिसने गो फर्स्ट का अधिग्रहण करने में दिलचस्पी दिखाई थी.
सूत्रों के मुताबिक जिंदल ने एयरलाइन के वित्तीय विवरणों का मूल्यांकन करने के बाद बोली न लगाने का फैसला किया था. बता दें गो फर्स्ट ने मई में स्वैच्छिक दिवालियेपन के लिए आवेदन किया था और उसके लेनदारों पर कुल 65.21 बिलियन रुपए (785.6 मिलियन डॉलर) का बकाया है. गो फ़र्स्ट में एक्सपोज़र रखने वाले एक ऋणदाता के बैंकर का कहना है कि उन्होंने जिंदल की रुचि पर अभिव्यक्ति से उम्मीदें लगा रखी थीं. मगर अब जिंदल पावर के हाथ खींचने से उनकी चिंता बढ़ गई है. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, आईडीबीआई बैंक और डॉयचे बैंक एयरलाइन के शीर्ष ऋणदाताओं में से हैं. एक अन्य बैंकर ने कहा, भविष्य की कार्रवाई तय करने के लिए कर्जदाताओं की समिति बुधवार को बैठक करेगी. भारतीय अदालत की ओर से लगाई गई रोक के कारण विमानों पर दोबारा कब्ज़ा करने से रोके जाने के बाद गो फर्स्ट वर्तमान में अपने पट्टादाताओं के साथ कानूनी झगड़े में फंस गया है.