अदानी समूह पर फिर संकट के बादल छा गए हैं. समूह की कंपनी अदानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड के ऑडिटर डेलॉयट ने 3 कंपनियों के साथ अदानी पोर्ट के यूनिट ट्रांजेक्शन को लेकर मंगलवार को सवाल उठाए हैं. वहीं अदानी पोर्ट ने तीनों कंपनियों को अनरिलेटिड पार्टी बताया है. ये कंपनियां अनरिलेटिड पार्टी हैं या नहीं इस दावे की पुष्टि नहीं हुई है क्योंकि डेलॉयट को एक स्वतंत्र बाहरी जांच करने के लिए अदानी समूह ने अनुमति नहीं दी. अब डेलॉयट के इस बयान के बाद अदानी ग्रुप संदेह के घेरे में है और हिंडनबर्ग रिसर्च के लगाए गए आरोप एक बार फिर से सुर्खियों में आ गए हैं. इसकी वजह से कंपनी का मार्केट कैप भी घटते-घटते 100 अरब डॉलर के नीचे पहुंच गया था.
डेलॉयट ने किन तीन लेनदेन को लेकर उठाए सवाल?
पहला, अडानी समूह ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट में चिन्हित एक कंपनी की सहायक कंपनी के साथ एक इंजीनियरिंग कॉन्ट्रैक्ट पर साइन किए थे. इनसे 31 मार्च तक 37.5 अरब रुपए वसूले जाने थे. दूसरा, शॉर्ट सेलर रिपोर्ट में पहचान की गई पार्टियों के साथ इक्विटी सहित वित्तीय लेनदेन भी किए गए हैं. इन सभी भुगतानों को बिना किसी बकाया राशि के निपटाया गया. तीसरा, अडानी पोर्ट्स ने अपने म्यांमार बंदरगाह को एंगुइला के सोलर एनर्जी लिमिटेड को इस महीने की शुरुआत में बेच दिया था. इसके बिक्री मूल्य को 20.15 अरब रुपये से संशोधित करके सिर्फ 2.47 अरब रुपये कर दिया था और पोर्ट की खराबी-कमियों को दुरुस्त करने के बदले में एक शुल्क लिया गया.
इन तीनों ही लेनदेन के बारे में अदानी समूह की ओर से ऑडिटर को बताया गया कि ये रिलेटेड पार्टियां नहीं है. अनरिलेटेड पार्टी का मतलब है ऐसी कंपनियां जिनके साथ समूह का कारोबार है लेकिन वो अदानी समूह या उसके परिवार से जुड़ी नहीं हैं.
बता दें हिंडनबर्ग रिसर्च ने 24 जनवरी 2023 को एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें अदानी समूह पर स्टॉक की कीमत में हेरफेर करने और मनी लॉन्ड्रिंग करने का आरोप लगाया गया था. अदानी समूह ने हालांकि हिंडनबर्ग के आरोपों का खंडन किया है. अदानी समूह सेबी द्वारा जांच के निष्कर्षों की प्रतीक्षा कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने पहले सेबी को अदानी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग के आरोपों की जांच पूरी करने के लिए तीन महीने यानी 14 अगस्त तक के लिए और बढ़ा दिया था.