ओपेक प्लस देशों की तरफ से तेल उत्पादन में कटौती की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें पहले ही तेज हैं और अब अमेरिका में उत्पादन घटने की भविष्यवाणी की वजह से इसका भाव और भी बढ़ गया है. विदेशी बाजार में ब्रेंट क्रूड का भाव 95.33 डॉलर प्रति बैरल के ऊपरी स्तर तक गया है जो 10 महीने का नया ऊपरी स्तर है. आशंका जताई जा रही है कि कीमतें बढ़कर 100 डॉलर प्रति बैरल का स्तर दिखा सकती हैं, बल्कि कुछ देशों में कच्चे तेल की कई वैरायटी का भाव पहले ही 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया है.
स्विडिश बैंक एनालिस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक नाइजीरियाई क्रूड और मलेशियाई क्रूड का भाव 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया है. एनर्जी इनफॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन यानी EIA की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि सितंबर के दौरान अमेरिका में कच्चे तेल के रोजाना औसत उत्पादन में लगातार तीसरे महीने गिरावट देखने को मिलेगी. सितंबर के दौरान अमेरिका का रोजाना औसत तेल उत्पादन 93.9 लाख बैरल रहने का अनुमान है, अगस्त में यह 94.33 लाख बैरल था.
उधर ओपेक प्लस संगठन के सदस्य सऊदी अरब और अमेरिका ने पहले ही घोषणा की हुई है कि वे कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती के फैसले को दिसंबर तक लागू रखेंगे. अब अमेरिका में भी उत्पादन कम हो रहा है, इस वजह से ग्लोबल बाजार में कच्चे तेल की सप्लाई घटने की आशंका बढ़ गई है जिस वजह से इसकी कीमतों में तेजी देखी जा रही है.
विदेशी बाजार में कच्चे तेल का भाव पिछले साल भी 100 डॉलर के ऊपर था लेकिन उस समय भारत को रूस से सस्ते में कच्चे तेल की सप्लाई हो रही थी, अब रूस ने भारत को सस्ती दरों में तेल की सप्लाई रोक दी है जिस वजह से भारत में पेट्रोल-डीजल के सस्ता होने की उम्मीद कम हो गई है. भारत के लिए रुपए की गिरावट की वजह से चुनौती ज्यादा बड़ी है क्योंकि कमजोर रुपए की वजह से विदेश से कच्चे तेल के इंपोर्ट का खर्च बढ़ गया है और विदेशी बाजार में कच्चे तेल का भाव ज्यादा बढ़ा तो पेट्रोल-डीजल के महंगा होने की आशंका बढ़ जाएगी.