लाल सागर के तनाव से गाड़ियां हो सकती है महंगी

ऑडी इंडिया के प्रमुख बलबीर सिंह ढिल्लों ने बताया कि आने वाले महीनों में सुधार की उम्मीद है.

लाल सागर के तनाव से गाड़ियां हो सकती है महंगी

लाल सागर के तनाव से भारत के आयात-निर्यात बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं. चावल निर्यात से लेकर वाहन कंपनियों से संबंधित आपूर्ति श्रृंखला की समस्याएं उत्पन्न हो रही है. ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में गाड़ी कंपनियां गाड़ी की लागत बढ़ने से उसकी कीमतों में भी बढ़ोतरी हो सकती है.

जर्मनी की लक्जरी कार विनिर्माता ऑडी ने कहा है कि लाल सागर संकट से उसके लिए आपूर्ति श्रृंखला संबंधी समस्याएं पैदा हो रही हैं. कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि इससे पहली तिमाही में भारत में ग्राहकों को कार की आपूर्ति प्रभावित हो रही है. ऑडी इंडिया के प्रमुख बलबीर सिंह ढिल्लों ने पीटीआई-भाषा को बताया कि आने वाले महीनों में सुधार की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि कंपनी भारत में इलेक्ट्रिक कारों को तैयार करने की संभावनाओं का मूल्यांकन कर रही है।

ऑडी के अधिकारी के दी जानकारी

उन्होंने कहा, ‘हमें समय-समय पर विभिन्न वजहों से भी चुनौती मिलती है. हाल ही में लाल सागर की स्थिति के कारण आपूर्ति श्रृंखला में बाधा आई है, जिसका हम 2024 की पहली तिमाही में सामना कर रहे हैं. लेकिन, हमें आने वाले महीनों में सुधार की उम्मीद है.’ ढिल्लों 2024 में संभावनाओं और चुनौतियों पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे. उन्होंने कहा कि वर्तमान में कुछ मॉडल के लिए ग्राहकों को आपूर्ति में कुछ सप्ताह की देरी हुई है।

हमास के खिलाफ इजराइल के युद्ध के बाद पिछले साल नवंबर से दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण व्यापार मार्गों में से एक- लाल सागर में कंटेनर जहाजों को हमलों का सामना करना पड़ रहा है. भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की लोकप्रियता के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह अभी शुरुआती चरण में है, और हमें लंबी दौड़ के लिए तैयार रहना होगा. उन्होंने कहा कि आगे चलकर, ऑडी वैश्विक स्तर पर कई नए उत्पाद पेश करने जा रही है और उनमें से कुछ भारत में भी आएंगे.

मारुती सुजुकी बढ़ा सकती है कीमत

इसके साथ ही, लाल सागर संकट के कारण जहाजों के मार्ग में बदलाव के कारण देश की प्रमुख कार कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) की लागत में कुछ बढ़ोतरी हो सकती है. कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह बात कही है. वाहन क्षेत्र की इस प्रमुख कंपनी ने पिछले कैलेंडर साल में लगभग 2.7 लाख कारों का निर्यात किया था। हालांकि, कंपनी ने कहा है कि उसे नहीं लगता कि इस मुद्दे का उसके निर्यात पर कुछ विशेष प्रभाव पड़ेगा. एमएसआई के कार्यकारी अधिकारी (कॉरपोरेट मामले) राहुल भारती ने कहा, ‘‘लाल सागर मुद्दे के कारण हमें कुछ लॉजिस्टिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। जोखिम और वाहनों के मार्ग में बदलाव की वजह से लागत में कुछ बढ़ोतरी हो सकती है, लेकिन यह उल्लेखनीय नहीं होगी।’’

निर्यात के लिए वाहनों के उठाव में अनिश्चितता

उन्होंने कहा कि माल निर्यात के समय में कुछ बदलाव हो सकता है. इससे जहाजों के आने और निर्यात के लिए वाहनों के उठाव में कुछ अनिश्चितता देखने को मिल सकती है. भारती ने कहा कि यह एक छोटा मुद्दा है, लेकिन निर्यात कारोबार में एक सामान्य बात है. लाल सागर जलडमरूमध्य वैश्विक कंटेनर यातायात के 30 प्रतिशत और वैश्विक व्यापार के 12 प्रतिशत के लिए महत्वपूर्ण है। यूरोप के साथ भारत का लगभग 80 प्रतिशत वस्तुओं का व्यापार इसी मार्ग से होता है. भारती ने कहा कि मारुति सुजुकी ने इस दशक के अंत तक कम से कम 7.5 लाख वाहनों के निर्यात करने का लक्ष्य रखा है।

उन्होंने कहा कि अफ्रीका एक अच्छा बाजार बनता जा रहा है और कई कारणों से पश्चिम एशिया क्षेत्र ने हाल काफी अच्छा प्रदर्शन किया है. भारती ने कहा कि सरकार कुछ मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) पर हस्ताक्षर कर रही है, जिसमें कंपनी को शुल्क में कुछ राहत मिल सकती है. उन्होंने कहा कि मारुति इस साल बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों (बीईवी) का उत्पादन शुरू करने की तैयारी कर रही है. इस तरह का पहला मॉडल एक मध्यम आकार की एसयूवी होगी। यह मॉडल घरेलू बाजार की जरूरतों को पूरा करेगा। इसके अलावा इसका जापान और यूरोप को निर्यात भी किया जाएगा.

Published - February 11, 2024, 03:23 IST