ऐसा जान पड़ता है कि घरेलू निवेशकों के लिए गौतम अदानी की अगुवाई वाले समूह की कंपनियों में पैसा लगाना फिर से आकर्षक बन गया है. निवेशकों ने चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में अदानी ग्रीन और अदानी टोटल गैस समेत समूह की पांच कंपनियों में निवेश बढ़ाया है. बीएसई में उपलब्ध शेयरधारिता आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि समूह की जिन अन्य कंपनियों में तिमाही के दौरान हिस्सेदारी बढ़ाई गई है, उनमें अदानी विल्मर और सीमेंट कंपनी अंबुजा तथा एसीसी शामिल हैं. इससे समूह को लेकर घरेलू निवेशकों के बीच सकारात्मक भावना और भरोसे का पता चलता है.
आंकड़ों के अनुसार, म्यूचुअल फंड ने विशेष रूप से आलोच्य तिमाही में अदानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनॉमिक जोन लिमिटेड और अदानी एनर्जी सॉल्यूशंस लिमिटेड को छोड़कर, अन्य कंपनियों में निवेश मामूली रूप से बढ़ाया या उसे बरकरार रखा है. इसके अलावा समूह के शेयरधारकों का आधार पांच प्रतिशत बढ़कर 68.82 लाख हो गया. अदानी टोटल गैस और अदानी एनर्जी सॉल्यूशंस में शेयरधारकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई. इस बीच समूह में हिस्सेदारी रखने के मामले में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) का रुख मिला-जुला रहा है.
शेयरधारिता आंकड़ों के अनुसार, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में अदानी ग्रीन में अपनी हिस्सेदारी पिछली तिमाही के 1.36 प्रतिशत से बढ़ाकर 1.67 प्रतिशत की है. इसके अलावा, उन्होंने सितंबर तिमाही में अदानी टोटल गैस में हिस्सेदारी को 6.02 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.26 प्रतिशत किया है. अदानी विल्मर में उनकी हिस्सेदारी पिछली तिमाही के 0.01 प्रतिशत से बढ़कर 0.41 प्रतिशत, अंबुजा में 9.07 प्रतिशत से बढ़कर 9.19 प्रतिशत और एसीसी में 10.27 प्रतिशत से बढ़कर 10.72 प्रतिशत हो गयी.
दूसरी ओर, आलोच्य तिमाही के दौरान घरेलू संस्थागत निवेशकों ने अदानी एंटरप्राइजेज लि. में अपनी हिस्सेदारी घटाकर 3.95 प्रतिशत कर ली जो सितंबर तिमाही में 4.26 प्रतिशत था. अदानी पोर्ट्स में हिस्सेदारी 9.72 प्रतिशत से घटाकर 8.37 प्रतिशत की गयी है. इसके अलावा, तिमाही के दौरान अदानी पावर और अदानी एनर्जी सॉल्यूशंस में डीआईआई की हिस्सेदारी में कोई बदलाव नहीं हुआ. डीआईआई की एनडीटीवी में कोई हिस्सेदारी नहीं है. अदानी समूह की 10 कंपनियों का बाजार पूंजीकरण अकेले दिसंबर में लगभग तीन लाख करोड़ रुपये बढ़ा. दिसंबर के अंत में समूह का बाजार पूंजीकरण 14.2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया.
उच्चतम न्यायालय की तरफ से अडाणी समूह को मिली राहत के बाद इस साल तीन जनवरी को समूह की कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 15 लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर गया. न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि समूह के खिलाफ आरोपों की जांच विशेष जांच टीम (एसआईटी) या सीबीआई से कराये जाने की जरूरत नहीं है. उसने पूंजी बाजार नियामक सेबी को अपनी जांच समाप्त करने के लिए तीन महीने का और समय दिया. अमेरिकी वित्तीय शोध और ‘शार्ट सेलर’ कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने जनवरी, 2023 में जारी अपनी रिपोर्ट में समूह के खिलाफ धोखाधड़ी वाले लेनदेन और शेयर-मूल्य में हेराफेरी सहित कई आरोप लगाए थे. उसके बाद अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई थी. अडाणी समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया था.