अपने कर्ज के पुनर्गठन (Refinancing) के लिए अदानी समूह कर्जदाताओं के साथ बातचीत कर रहा है. अदानी समूह करीब 3.8 अरब डॉलर के लोन की रीफाइनेंसिंग के लिए नई शर्तों पर कई देसी-विदेशी बैंकों से बात कर रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह हिंडनबर्ग मामले के बाद समूह का सबसे बड़ा प्रयास होगा. अदानी ग्रुप ने पिछले साल यह कर्ज अंबुजा सीमेंट को खरीदने के लिए लिया था.
अदानी समूह ने बार्कलेज पीएलसी, डॉयचे बैंक, स्टैंडर्ड चार्टर्ड पीएलसी और मित्सुबिशी यूएफजे फाइनेंशियल ग्रुप इंक जैसे बैंक शामिल है. दुनियाभर में ब्याज दरें बढ़ चुकी हैं इसलिए अदानी समूह को यह कर्ज चुकाने में मुश्किलें आ रही हैं. जब भी कोई कंपनी लोन की रिस्ट्रक्चरिंग कराती है तो उसे पेनल्टी भी ज्यादा देनी पड़ती है और ज्यादा ब्याज दरें भी देनी पड़ती है. अदानी समूह को उम्मीद है कि जब आने वाले समय में ब्याज दरें कम हो जाएंगी तो उन्हें इसका फायदा होगा. इन बैंकों का रिस्ट्रक्चर समूह इस पर विचार कर रहा है कि क्या इस कर्ज को लंबी अवधि में बदला जा सकता है. अदानी समूह इस प्रक्रिया को तीन से चार महीने में पूरा करने की उम्मीद कर रहा है.
रेटिंग एजेंसी मूडीज ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि विदेशी मुद्रा में कर्ज लेने वाले भारत के कई बड़े कॉरपोरेट ग्रुप को साल 2024 में कर्ज चुकाने में मुश्किल आ सकती है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊंची ब्याज दर और कंपनियों की माली हालत कमजोर होने की वजह से ऐसा हो सकता है.
पिछले साल कम ब्याज दरों का फायदा उठाकर कई कंपनियों ने लोन लिया था. भारतीय कंपनियों ने पिछले 7-8 साल में अंतराष्ट्रीय बाजार में कम ब्याज दरों का फायदा उठाकर कर्ज लिया था. इन्हें एक्स्टर्नल कमर्शियल बोरोइंग और कॉर्पोरेट लोन के जरिए लिया गया था. भारत में ऐसी 22 कंपनियां जिनका 212 बिलियन डॉलर का विदेश में कर्ज है. और अब उन कंपनियों की स्थिती यह है कि उन्हें कर्ज की रिस्ट्रक्चरिंग करानी पड़ रही है.