रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदने के लिए भारत ऐसी जुगत लगा रहा है जिसके जरिए जी 7 देशों की तरफ से लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों से बचा जा सके. दरअसल, भारत माल ढुलाई, इंश्योरेंस और अन्य लॉजिस्टिक लागत की अलग से बिलिंग कर रहा है, जबकि कच्चे तेल की खरीद की बिलिंग अलग होती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत यह तरीके इसलिए इस्तेमाल कर रहा है ताकि रूस के कच्चे तेल का भाव जी-7 देशों के द्वारा निर्यात के लिए तय किए गए 60 डॉलर प्रति बैरल की मूल्य सीमा के नीचे रहे. चूंकि रूस के यूराल ग्रेड के कच्चे तेल का भाव 60 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर पहुंच गया है और यही वजह है कि भाव को 60 डॉलर के नीचे रखने के लिए भारत यह कदम उठा रहा है.
पश्चिमी देशों के आर्थिक प्रतिबंधों से बचने के लिए भारत अब बिलिंग को इस तरह से करने पर विचार कर रहा है कि जैसे वह अभी भी 60 डॉलर से कम भाव पर तेल की खरीदारी कर रहा है. भारत इन तरीकों के तहत इंश्योरेंस, माल ढुलाई समेत अन्य लॉजिस्टिक लागत के लिए अलग से बिलिंग करता है. बता दें कि कुछ समय पहले तक भारत को रूस से भारी छूट पर इस ग्रेड के कच्चे तेल का निर्यात होता था.
बता दें कि सितंबर में भारत का कच्चे तेल का आयात 12 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया था. रूस से भारत तक माल ढुलाई का शुल्क 19 डॉलर प्रति बैरल और बीमा की लागत ज्यादा थी, जिसकी वजह से आयात में गिरावट दर्ज की गई थी. चूंकि अब इसकी अलग से बिलिंग हो रही है तो भाव 60 डॉलर प्रति बैरल के नीचे दिखाया जा रहा है. गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2023 में रूस से भारत का कच्चे तेल का आयात पिछले वित्त वर्ष के 2.2 बिलियन डॉलर की तुलना में 14 गुना बढ़कर 31.02 बिलियन डॉलर हो गया है. अप्रैल-अगस्त 2023 की अवधि में भारत ने जितना कच्चे तेल का आयात किया था, उसमें से एक तिहाई रूस से आया था. अप्रैल-अगस्त 2023 की अवधि में भारत ने रूस से 19.36 बिलियन डॉलर मूल्य के कच्चे तेल का आयात किया था.