वैश्विक स्तर पर सौर बिजली उत्पादन क्षमता दीर्घकालीन ऊर्जा भंडारण क्षमता के साथ 2050 तक 75,000 गीगावाट तक पहुंचने की उम्मीद है. इंटरनेशनल सोलर एसोसिएशन (आईएसए) और लांग डुरेशन एनर्जी स्टोरेज (एलडीईएस) काउंसिल की मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है. इसमें नवीकरणीय ऊर्जा के भविष्य को लेकर दृष्टिकोण को रखा गया है. इसमें कहा गया है कि महत्वाकांक्षी सौर लक्ष्यों को साकार करने में दीर्घकालीन ऊर्जा भंडारण की महत्वपूर्ण भूमिका है.
एक बयान में कहा गया है कि दुबई में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (कॉप 28) में प्रस्तुत रिपोर्ट में निरंतर, भरोसेमंद और किफायती नवीकरणीय ऊर्जा सुनिश्चित करने के लिए सौर ऊर्जा के साथ दीर्घकालीन ऊर्जा भंडारण की जरूरत बतायी गयी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सौर ऊर्जा क्षमता के पूर्ण रूप से उपयोग के लिये दीर्घकालीन ऊर्जा भंडारण जरूरी है, तभी कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य पूरा होगा और 2050 तक 75,000 गीगावाट (एक गीगावाट बराबर 1,000 मेगावाट) सौर क्षमता हासिल हो पाएगी.
इसमें कहा गया है कि शत-प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा के लिए सौर, पवन ऊर्जा और दीर्घकलीन ऊर्जा भंडारण का मेल जरूरी है और इससे यह लागत प्रभावी भी होगा. एलडीईएस काउंसिल का अनुमान है कि दीर्घकालीन ऊर्जा भंडारण उद्योग का आकार 2040 तक 4,000 अरब डॉलर का हो जाएगा. इससे सौर ऊर्जा को भी बढ़ावा मिलेगा. रिपोर्ट के अनुसार सौर ऊर्जा को वैश्विक बिजली मांग को किफायती और भरोसेमंद तरीके से पूरा करने में सक्षम बनाने के लिए यह वृद्धि आवश्यक है.
इसमें सौर और दीर्घकालीन ऊर्जा भंडारण को व्यापक रूप से अपनाने में आने वाली बाधाओं की भी पहचान की गई है. इसमें नियामकीय चुनौतियां, वित्तपोषण मुद्दे और तकनीकी सीमाएं शामिल हैं. आईएसए के महानिदेशक अजय माथुर ने कहा कि सौर ऊर्जा पहले से ही वैश्विक स्तर पर बिजली का सबसे किफायती स्रोत है. दीर्घकालीन ऊर्जा भंडारण के साथ सौर ऊर्जा 24 घंटे भरोसेमंद ऊर्जा स्रोत होगा.