सरसों मील के निर्यात में गिरावट की वजह से अप्रैल में ऑयलमील के कुल निर्यात में 6 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है. सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया यानी SEA के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2024 में ऑयलमील का कुल निर्यात 4.65 लाख टन दर्ज किया गया था, जबकि अप्रैल 2023 के दौरान 4.93 लाख टन ऑयलमील का निर्यात का निर्यात हुआ था. 2024-25 सीजन के अप्रैल महीने में भारत ने 1.99 लाख टन सोयाबीन मील का निर्यात किया था, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह आंकड़ा 1.77 लाख टन का था.
SEA के एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर बी वी मेहता के मुताबिक भारत ने खरीफ सीजन में सोयाबीन और रबी सीजन में सरसों की रिकॉर्ड फसल की कटाई की थी. फसल ज्यादा रहने से पेराई ज्यादा हुई और घरेलू खपत और निर्यात दोनों के लिए मील की उपलब्धता में बढ़ोतरी दर्ज की गई. उन्होंने कहा कि 2022-23 की समान अवधि की तुलना में 2023-24 में नवंबर-अप्रैल की अवधि में सोयाबीन मील निर्यात बढ़कर 16.6 लाख टन दर्ज किया गया, 2022-23 में नवंबर-अप्रैल की अवधि में 10.4 लाख टन सोयाबीन मील का निर्यात हुआ था. पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 2023-24 में नवंबर-अप्रैल की अवधि में सरसों मील के निर्यात में 23 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है.
उनका कहना है कि भारत आमतौर पर वियतनाम, थाईलैंड और अन्य एशियाई देशों को करीब 5-6 लाख टन डिऑयल्ड राइसब्रान का निर्यात करता है और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में एक विश्वसनीय सप्लायर के रूप में स्थापित है. बता दें कि सरकार ने 28 जुलाई 2023 को चारे की कीमतों में ज्यादा तेजी को जिम्मेदार ठहराते हुए डी ऑयल राइसब्रान के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसे 31 मार्च, 2024 तक बढ़ा दिया गया और बाद में इसे 31 जुलाई 2024 तक बढ़ा दिया गया था.