रूस की तरफ से कच्चे तेल का भाव बढ़ाए जाने के बाद भारत में आयात होने वाले कच्चे तेल में रूस के तेल की हिस्सेदारी कम हुई है. सितंबर की तुलना में 12 फीसद की गिरावट के साथ अक्टूबर के दौरान देश में रोजाना 15.7 लाख बैरल रूसी तेल इंपोर्ट हुआ है. इससे पहले सितंबर के दौरान रोजाना इंपोर्ट का आंकड़ा 17.8 लाख बैरल था. रूसी तेल का आयात घटने के साथ सऊदी अरब से तेल के आयात में बढ़ोतरी देखी जा रही है. सितंबर के मुकाबले अक्टूबर में सऊदी अरब से तेल के आयात में करीब 65 फीसद की बढ़ोतरी हुई है. सितंबर में सऊदी अरब से रोजाना 4.84 लाख बैरल तेल का इंपोर्ट हुआ था, जो अक्टूबर में बढ़कर 7.97 लाख बैरल हो गया है.
बता दें कि भारतीय आयातकों ने छूट कम होने की वजह से हाल के महीनों में रूस से होने वाले कच्चे तेल के आयात को कम कर दिया है. गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत में रूस से कच्चे तेल का आयात रोजाना करीब 20 लाख बैरल की ऊंचाई पर पहुंच गया था. रूस और सऊदी अरब के द्वारा तेल उत्पादन में कटौती के बाद से वैश्विक बाजार में तेल की कीमतें बढ़ने की वजह से रूस ने अपने तेल पर छूट कम कर दिया है. भारतीय तेल आयातक डिलीवरी के आधार पर रूसी तेल खरीदारी करते हैं और अनुबंध की शर्तों के आधार पर माल की निकासी के बाद उसका भुगतान करते हैं. शिप ट्रैकिंग एजेंसी केप्लर के प्रमुख क्रूड विश्लेषक विक्टर कटोना के मुताबिक नवंबर में रूस से भारत का तेल आयात फिर से बढ़ने वाला है.
उन्होंने कहा कि नवंबर के पहले तीन दिन में रूस से 10 टैंकर भारतीय रिफाइनरों के लिए कच्चा तेल लेकर आ रहे हैं. ऐसे में अक्टूबर में रूस से हुए कम आयात की भरपाई नवंबर में होने वाले ज्यादा आयात से हो जाएगी. रिलायंस इंडस्ट्रीज की रिफाइनरियों में एक महीने तक चले मेंटेनेंस की वजह से भी भारत का रूस से तेल आयात प्रभावित हुआ है. अक्टूबर में सऊदी अरब के तेल का भारत में आयात बढ़ने का अनुमान है. रूस के कच्चे तेल पर कम छूट की वजह से भारतीय रिफाइनरों को मध्य पूर्व के उत्पादकों से खरीदारी बढ़ाने और वार्षिक सौदों के तहत प्रतिबद्ध मात्रा बढ़ाने के लिए प्रेरित किया है.