भारत रूसी कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार बनकर उभरा है. अक्टूबर में भारत ने 84.20 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर कच्चा तेल खरीदा है, जो दिसंबर 2022 के बाद सबसे ज्यादा है. जबकि सितंबर में क्रूड का भाव 81.24 डॉलर प्रति बैरल था. भारत ने ये खरीदारी मास्को के यूक्रेन पर आक्रमण के बाद पश्चिमी देशों की ओर से रूस पर कच्चे तेल की आपूर्ति पर लगाए गए प्रतिबंध के बाद की है. इराक और सऊदी अरब के मुकाबले सस्ता तेल मिलने की वजह से भारत काफी लंबे समय से रूस से तेल खरीद रहा है.
भारत सरकार के प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर में भारत को आपूर्ति किए जाने वाले रूसी तेल की औसत कीमत बढ़कर 84.20 डॉलर प्रति बैरल हो गई, जो पिछले साल दिसंबर में सात देशों के समूह की ओर से निर्धारित 60 डॉलर की तय सीमा से ज्यादा है. मूल्य सीमा लागू होने के बाद से अक्टूबर में भारत ने रूसी तेल के लिए सबसे अधिक कीमत चुकाई, जिससे उत्पादक की आय और राजस्व में वृद्धि हुई.
भारतीय व्यापार मंत्रालय की वेबसाइट पर पोस्ट किए गए डेटा से पता चलता है कि भारत ने सितंबर में लगभग 81.24 डॉलर प्रति बैरल की औसत कीमत पर रूसी तेल खरीदा. एक सरकारी अधिकारी ने पिछले सप्ताह कहा था कि कीमतों में नरमी के कारण भारत में रूसी तेल की खपत बढ़ सकती है. चूंकि भारत के दूसरे और तीसरे प्रमुख तेल आयातक इराक और सऊदी अरब में अक्टूबर में एक बैरल तेल की कीमत क्रमशः 85.97 डॉलर और 98.77 डॉलर थी. इसके मुकाबले रूसी तेल सस्ता पड़ रहा था. ऐसे में भारत में रूसी तेल की खपत में इजाफा देखने को मिला. सीधी आपूर्ति के अलावा, भारतीय रिफाइनर को ग्रीस, स्पेन और कोरिया के बंदरगाहों से भी रूसी तेल की आपूर्ति मिलती है. भारत में रिफाइनर्स बड़े पैमाने पर डिलीवरी के आधार पर रूसी तेल खरीदते हैं. इसमें विक्रेता शिपिंग और बीमा की व्यवस्था करते हैं.
बता दें मॉस्को की कमाई को रोकने और यूक्रेन पर हमला करने के लिए मॉस्को को दंडित करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका ने प्रतिबंध लगया था. जिसके तहत 60 डॉलर मूल्य सीमा से ऊपर बेचे जाने वाले रूसी तेल की शिपिंग के लिए समुद्री कंपनियों और जहाजों पर प्रतिबंध लगा दिया था. भारत अपनी तेल से जुड़ी जरूरतों का 80% से अधिक हिस्सा पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है. इसके चलते प्रतिबंध के बावजूद भारत ने बड़े पैमाने पर रूसी तेल की खरीदारी की.
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