सरकार ने बुधवार को कहा कि देश के बिजली संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति जारी रहेगी और वह बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए जीवाश्म ईंधन का उत्पादन बढ़ाने का हरसंभव प्रयास करेगी.
केंद्र अपनी जिम्मेदारियों और नवीकरणीय संसाधनों से 50 प्रतिशत ऊर्जा प्राप्त करने तथा वर्ष 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता से भी अवगत है.
वाणिज्यिक कोयला खदानों की नीलामी के आठवें दौर की शुरुआत पर कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा, ‘भारत पहले से कहीं अधिक बिजली की खपत कर रहा है. देश में बिजली की अधिकतम मांग पहले ही 240 गीगावाट तक पहुंच गई है और वर्ष 2030 तक यह मांग दोगुनी होने की संभावना है. इसलिए, हालांकि कोयले से पैदा होने वाली बिजली की हिस्सेदारी में गिरावट आ सकती है. हालांकि, कुल मिलाकर यह बढ़ेगा.’
मंत्री ने यह भी भरोसा दिलाया कि सामूहिक प्रयासों से भारत कोयला खनन में सतत विकास सिद्धांतों को अपनाने के साथ-साथ मांग को पूरा करने में सक्षम होगा.
वाणिज्यिक कोयला खदानों की नीलामी के आठवें दौर में कुल 39 खदानों को बिक्री के लिए रखा गया है. मंत्री ने कहा, ‘कुल 39 कोयला ब्लॉक में कोयले के वाणिज्यिक खनन के लिए नीलामी की 8वीं किस्त शुरू करने के लिए आज एक विशेष दिन है. विशेष क्योंकि आज जनजातीय गौरव दिवस भी है जो भारत के जनजातीय समुदायों के दिल में गहराई से गूंजता है.’
कोयला क्षेत्र और आदिवासी समुदाय के बीच गहरा संबंध और बंधन की बात को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि नीलामी के लिए रखे जा रहे इन 39 कोयला ब्लॉक में से अधिकांश कोयला-गहन राज्यों में केंद्रित हैं और एक बार ये खदानें चालू हो जाएंगी, तो ब्लॉक से संबंधित जनजातीय समुदायों की बड़ी आबादी को लाभ होगा.
एक बार पूरी तरह से चालू होने के बाद इन कोयला खदानों से कोयला-गहन क्षेत्रों में 33,000 करोड़ रुपये से अधिक का कुल निवेश आने की संभावना है.