केंद्र सरकार पेट्रोल में एथेनॉल ब्लैंडिंग (Ethanol Blending) के प्रोग्राम यानी EBP को लेकर काफी गंभीर है और यही वजह है कि सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों की ओर से पेट्रोल में एथेनॉल के मिश्रण के लक्ष्य को पूरा करने के लिए जरूरत के हिसाब से खरीद की जाती है. हालांकि एथेनॉल उत्पादक कंपनियों की ओर से ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (OMCs) के ऊपर एक बड़ा आरोप लगाया जा रहा है.
देश में एथेनॉल उत्पादक कंपनियों के पास एथेनॉल के स्टॉक में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. उत्पादक कंपनियों का आरोप है कि सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों यानी OMC की ओर से पर्याप्त मात्रा में एथेनॉल की खरीद नहीं हो रही है. हालांकि, ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि उनके द्वारा पेट्रोल में 15 फीसद एथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को पूरा करने के लिए जितना आवश्यक हो उतने एथेनॉल की खरीद की जा रही है. उनका कहना है कि एथेनॉल उद्योग में मौजूदा परेशानी देश में बायो फ्यूल (Bio Fuel) की उत्पादन क्षमता में तेजी से बढ़ोतरी का परिणाम है.
दूसरी ओर उत्पादकों का कहना है कि उनके स्टॉक में लगातार बढ़ोतरी हो रही है और ऐसा ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के डिपो में सीमित भंडारण क्षमता की वजह से हो सकता है. बता दें कि सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों इंडियन ऑयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम के द्वारा पेट्रोल पंप पर ईंधन की सप्लाई करने से पहले अपने डिपो में पेट्रोल के साथ मिश्रण करने के लिए विभिन्न उत्पादकों से एथेनॉल की खरीद करती हैं. एथेनॉल इंडस्ट्री के अधिकारियों का कहना है कि हाल के वर्षों में एथेनॉल उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी की गई है लेकिन इस साल के लिए अपने 15 फीसद मिश्रण के लक्ष्य को पूरा करने के लिए सीमित मात्रा की जरूरत है.. हालांकि अगले साल 20 फीसद मिश्रण लक्ष्य के लिए ऑयल मार्केटिंग कंपनियों की ओर से ज्यादा एथेनॉल की खरीद की जा सकती है जिससे मौजूदा समय में डिमांड और सप्लाई में चल रहा अंतर कम हो जाएगा. उन्होंने कहा कि ओएमसी तब तक अपने डिपो में एथेनॉल भंडारण क्षमता में बढ़ोतरी भी कर सकते हैं.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक नवंबर 2023 में देश में एथेनॉल उत्पादन की क्षमता सालाना करीब 13.80 बिलियन लीटर थी जिसमें से 8.75 बिलियन लीटर मोलासेस और करीब 5.05 बिलियन लीटर अनाज पर आधारित थी. 2014 में एथेनॉल उत्पादन की क्षमता सालाना करीब 4.20 बिलियन लीटर थी.