भारत सरकार ने कच्चे तेल की कीमतों में लगातार जारी गिरावट को देखते हुए क्रूड स्टोरेज की रणनीति में बड़ा बदलाव किया है. भारत सरकार ने अपने स्ट्रेटजिक रिजर्व को पूरा भरने की योजना को छोड़ दिया है और इसकी जगह इन भंडारों की खाली जगह को किराए पर दूसरी कंपनियों या सेक्टर के प्लेयर को मुहैया करा कर अतिरिक्त कमाई की योजना बना रही है. इससे एक तरफ मौजूदा खर्च बचेगा साथ ही साइट्स को लीज पर देने से अतिरिक्त इनकम भी होगी.
क्या है रणनीति में बदलाव
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक वित्त मंत्रालय ने देश के स्ट्रैटजिक क्रूड ऑयल रिजर्व को भरने का 50 अरब डॉलर यानी 60.1 करोड़ डॉलर की योजना को रद्द कर दिया है. सरकार ने यह फैसला कीमतों में गिरावट का अनुमान देखते हुए लिया गया है. ब्रेंट क्रूड सितंबर में अपने ऊपरी स्तरों से 20 फीसद गिर चुका है. इसी वजह से क्रूड खरीदने की जगह मंत्रालय ने सरकार कंपनी इंडियन स्ट्रेटजिर पेट्रोलियम रिजर्व से खाली भंडारों को रिफायनरी और ग्लोबल ऑयल कंपनियों को किराए पर देने के लिए कह रही है. हालांकि तेल मंत्रालय या फिर वित्त मंत्रालय की तरफ से इसकी कोई पुष्टि नहीं की गई है.
क्या है स्ट्रेटजिक रिजर्व?
भारत का स्ट्रेटजिक ऑयल रिजर्व 3.9 करोड़ बैरल का है जो लगभग 9 दिन की जरूरत को पूरा कर सकता है. इसे इमरजेंसी के दौरान इस्तेमाल होने के लिए डिजाइन किया गया है. साल 2020 में जब तेल की कीमतें जमीन गिरी थीं तब रिजर्व को भरा गया था. तब से अबतक रिजर्व का एक तिहाई हिस्सा घरेलू रिफायनर्स को सप्लाई किया गया. इससे इसका एक हिस्सा खाली हो गया. अब इसी खाली हुए हिस्से को फिर से भरने की योजना थी लेकिन कीमतों में आगे गिरावट के अनुमान को देखते हुए ये योजना रद्द किए जाने की खबर आ रही है.
गौरतलब है कि देश में 3 जगहों पर रिजर्व रखा जाता है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फिलहाल 1.35 करोड़ बैरल की कुल क्षमता वाला विशाखापट्टनम और मंगलौर साइट फिलहाल खाली है जिसे भरने की बात चल रही थी. इसमे से एक साइट अबु धाबी नेशनल ऑयल कंपनी को लीज पर दी गई है.