अमेरिकी डॉलर में आई तेजी और चीन से मांग घटने की आशंका से कच्चे तेल की कीमतों पर दबाव है. अमेरिकी बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड का भाव चौथी तिमाही में करीब 20 फीसद लुढ़ककर 75 डॉलर प्रति बैरल के नीचे लुढ़क गया. अमेरिका में गैसोलीन के स्टॉक में बढ़ोतरी की वजह से भी कच्चे तेल की कीमतों पर दबाव दर्ज किया जा रहा है. अमेरिकी ऊर्जा विभाग के मुताबिक 24 नवंबर को खत्म हफ्ते में गैसोलीन का कुल स्टॉक 218.2 मिलियन बैरल दर्ज किया गया था, जबकि पिछले साल की समान अवधि में स्टॉक 213.8 मिलियन बैरल था. जानकारों का कहना है कि मौजूदा समय में कच्चे तेल की कीमतों में मजबूती का फिलहाल कोई कारण नहीं दिखाई पड़ रहा है. ऐसे में अगर आने वाले दिनों में कच्चा तेल और सस्ता होता है तो पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भी कमी हो सकती है.
चीन के कमजोर आर्थिक आंकड़ों से भाव पर दबाव
गौरतलब है कि पिछले हफ्ते अमेरिकी ऊर्जा विभाग ने बताया था कि महंगी लागत अंतर्राष्ट्रीय तेल की कीमतों में कमी के बावजूद सितंबर में अमेरिका कच्चे तेल का औसत दैनिक उत्पादन रिकॉर्ड 13.24 मिलियन बैरल दर्ज किया गया था. अगस्त में भी इतना ही उत्पादन दर्ज किया गया था. ऐसा कहा जा रहा है कि अमेरिका में शेल उत्पादकों का उत्पादन को कम करने का फिलहाल कोई इरादा नहीं है. चीन से आने वाले कमजोर आर्थिक आंकड़ों की वजह से कच्चे तेल की मांग में लगातार कमजोरी का संकेत है, जिससे कीमतों पर दबाव है.
मिडिल ईस्ट की यात्रा पर पुतिन
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन मिडिल ईस्ट की यात्रा पर पहुंच गए हैं. पुतिन की इस यात्रा को बेहद महत्वपूर्ण बताया जा रहा है. यात्रा की शुरुआत में पुतिन सऊदी अरब पहुंचे हैं जो कच्चे तेल का सबसे बड़ा निर्यातक देश है. इसके बाद पुतिन UAE भी जाएंगे.