प्रतिबंध के बावजूद ईरान से कच्चे तेल की खरीद वापस शुरू करने के लिए भारत विचार कर रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लाल सागर और अदन की खाड़ी में हूति विद्रोहियों के बढ़ते हमलों को देखते हुए सरकार ईरान से कच्चे तेल के इंपोर्ट को वापस शुरू करने का विचार बना रही है. पिछले हफ्ते विदेश मंत्री एस जयशंकर की ईरान की यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच हुई द्विपक्षीय बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई है, ऐसी संभावना जताई जा रही है.
बता दें कि ईरान से होने वाला निर्यात फारस की खाड़ी और ओमान की खाड़ी के जरिए होता है. साथ ही इन इलाकों में हूति विद्रोहियों की उपस्थिति भी सीमित है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हूति विद्रोहियों के प्रति ईरान का सहयोगात्मक रवैया है और यही वजह है कि उनके द्वारा ईरान के व्यापार को निशाना बनाने की उम्मीद नहीं है.
भारत ने अभी तक वैश्विक प्रतिबंधों के तहत आने वाले किसी भी देश से कच्चे तेल की खरीदारी नहीं की है. अमेरिका द्वारा दक्षिण अमेरिकी राष्ट्र वेनेजुएला पर प्रतिबंध हटाने के बाद ही सरकार ने वहां से तेल आयात करना शुरू कर दिया है. इस बीच ईरान से कच्चे तेल के आयात को फिर से शुरू करने के प्रस्ताव आए हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि हम स्थिति का आकलन कर रहे हैं.
बता दें कि 2018-19 तक भारत के लिए ईरान कच्चे तेल के सबसे बड़े स्रोत में से एक था. जून 2019 में डोनाल्ड ट्रम्प की अमेरिकी सरकार ने ईरान पर उसके परमाणु कार्यक्रम के कारण प्रतिबंध लगा दिए थे. अमेरिका ने भारत जैसे देशों के लिए ईरान से कच्चा तेल इंपोर्ट करने की छूट को हटा दिया था, जिससे भारत और ईरान व्यापार के भुगतान के लिए अमेरिकी डॉलर तक पहुंच से वंचित हो गए थे.
अमेरिका के द्वारा प्रतिबंध लगाने की वजह से पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन के आंकड़ों के मुताबिक 2018 में जहां ईरान नौवां सबसे बड़ा कच्चा तेल निर्यातक देश था, वह 2021 में 71वें स्थान पर पहुंच गया. बता दें कि ईरान की सरकार भारत को कच्चा तेल निर्यात को फिर से शुरू करने का इच्छुक रहा है.