Budget 2024: नोएडा की एक निजी कंपनी में काम करने वाले विनय टैक्स बचाने के लिए हर साल PPF में निवेश करते हैं, लेकिन इस निवेश से अब उनका मोह भंग हो रहा है. एक तरफ नई टैक्स व्यवस्था में इस तरह के निवेश पर कोई टैक्स छूट नहीं. दूसरी तरफ सरकार ने करीब 4 साल से PPF पर ब्याज नहीं बढ़ाया. 2020 की जून तिमाही के बाद से PPF पर ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ है, जबकि दूसरी तरफ बैंकों में FD पर ज्यादा ब्याज मिल रहा है और गोल्ड, शेयर तथा म्यूचुअल फंड में हुए निवेश भी मोटा रिटर्न दे रहे हैं.
लघु बचत योजनाओं में निवेश से सिर्फ विनय का ही मोह भंग नहीं हुआ. उनके जैसी सोच रखने वाले लाखों निवेशक हैं, जो धीरे-धीरे इनमें निवेश से दूरी बनाने लगे हैं. यही वजह है कि GDP की तुलना में लघु बचत योजनाओं में आने वाले निवेश में लगातार कमी देखी जा रही है. वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान लघु बचत योजनाओं में जितना निवेश आया था. वह GDP के 1.54 फीसद हिस्से के बराबर था. 2021-22 में यह घटकर 1.42 फीसद हुआ और वित्त वर्ष 2022-23 में तो यह कम होकर सिर्फ 1.12 फीसद ही रह गया. लघु बचत योजनाओं में यह निवेश तब कम हो रहा है. जब खुद सरकार इस पैसे का इस्तेमाल करती है.
हालांकि लघु बचत योजनाओं में घटते निवेश के बावजूद इन पर मिल रही टैक्स छूट से इनमें निवेश करने वाले कई निवेशक कन्फ्यूज भी हैं कि इनके साथ बने रहें या निवेश के उन विकल्पों की तरफ जाएं. जहां पर रिटर्न तो अच्छा है, लेकिन पैसा निकालने पर भारी टैक्स भी देना पड़ता है. इस तरह के निवेश में गोल्ड, शेयर और म्यूचुअल फंड में होने वाला सारा निवेश आता है. यहां तक की बैंक में होने वाला फिक्स डिपॉजिट भी टैक्स के दायरे में है.
बजट को देखते हुए विनय जैसे लाखों निवेशक वित्त मंत्री से उम्मीद लगाए हुए हैं कि इस बार के बजट में कुछ इस तरह की व्यवस्था करें, जिससे बचत करने वालों पर इनकम टैक्स की कम मार पड़े. ऐसा हुआ तो बचत को लेकर प्रोत्साहन तो बढ़ेगा ही. साथ में लुघ बचत योजनाओं के जरिए सरकार के पास जमा होने वाली पूंजी में भी बढ़ोतरी होगी.