Budget 2021: कोरोना से परेशान लोगों की जेब पर वित्त मंत्री को ध्यान देने की जरूरत

Budget 2021- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के 1 फरवरी 2020 को Budget पेश करने के बाद से दुनिया में कई बड़े अकल्पनीय परिवर्तन हुए हैं. उस वक्त कोरोना महामारी अपने शुरुआती दौर में थी, देश में कोरोना का पहला केस, बजट पेश होने से बामुश्किल कुछ दिन पहले सामने आया था. कुछ ही हफ्तों के […]

  • Team Money9
  • Updated Date - January 30, 2021, 06:39 IST
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PTI

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Budget 2021- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के 1 फरवरी 2020 को Budget पेश करने के बाद से दुनिया में कई बड़े अकल्पनीय परिवर्तन हुए हैं. उस वक्त कोरोना महामारी अपने शुरुआती दौर में थी, देश में कोरोना का पहला केस, बजट पेश होने से बामुश्किल कुछ दिन पहले सामने आया था.

कुछ ही हफ्तों के अंदर, वायरस पूरे देश में फैल गया और सरकार को लॉकडाउन का ऐलान करना पड़ा. अब जब एक साल बाद Nirmala Sitharaman फिर Budget 2021 पेश करने जा रही हैं, इस दौरान देश ने एक बुरा दौर देखा है. न सिर्फ खराब सेहत के नजरिए से बल्कि आर्थिक मंदी और घटती नौकरियों के लिहाज से भी.

मार्च में लॉकडाउन के ऐलान के बाद आई मंदी से अब शेयर बाजार में तेजी देखने को मिल रही है. आर्थिक तेजी और कोरोना की वैक्सीन की खबर से BSE सेंसेक्स और निफ्टी का शेयर सूचकांक रिकॉर्ड स्तर पर है. कोरोना के बाद शुरू हुई आर्थिक तेजी अभी भी अपने शुरुआती चरण में है. इस बजट से आम लोगों की काफी उम्मीदें हैं कि वित्त मंत्रालय आम लोगों की जेब का भी ख्याल रखेगा.

हर साल की तरह इस बार भी आम लोगों की Budget 2021 से कई ख्वाहिशें हैं. आम टैक्सपेयर की वित्त मंत्री से उम्मीद होती है कि उसके हाथ में कुछ पैसा बचे. हालांकि, यह संभावना नहीं है कि मौजूदा आयकर दरों में कोई बड़ा बदलाव होगा क्योंकि सरकार की प्राथमिकता एक स्थिर शासन देना है.

बीते साल 2020-21 का बजट पेश करते हुए Nirmala Sitharaman ने टैक्स छूट का लाभ नहीं लेने वालों के लिए एक नई वैकल्पिक आयकर नीति का ऐलान किया था. ये देखना रोचक होगा कि कितने लोगों ने नई वैकल्पिक आयकर नीति को अपनाया.

हालांकि, उम्मीद जताई जा रही है कि वित्त मंत्री मौजूदा 50,000 रुपए मानक कटौती की लिमिट को बढ़ा सकती हैं.

इसके अलावा, ऐसे समय में जब सरकार को बढ़ते राजकोषीय घाटे से निपटने के लिए भी पैसों की जरूरत है, बुनियादी छूट सीमा में वृद्धि की उम्मीद करना भी बेमानी होगी.

दो साल पहले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) पर लगाए गए टैक्स पर पूंजी बाजार के भागीदार राहत की तलाश करेंगे.

एक साल होल्डिंग के बाद शेयर्स या इक्विटी फंड्स की बिक्री पर LTCG में पहले कर छूट मिलती थी. अब लिस्टेड इक्विटी शेयर्स पर 1 लाख रुपए से अधिक का LTCG इंडेक्सेशन के लाभ पर 10% टैक्स देना होगा. हालांकि, शेयर बाजार में एक अच्छी रैली LTCG फ्रंट पर एक संभावित कमाई का जरिया है, जिसका फायदा सरकार अपने खजाने में इजाफा करने के लिए उठा सकती है.

वित्त मंत्री Nirmala Sitharaman आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत 1,50,000 रुपए कटौती की सीमा को बढ़ाने या राष्ट्रीय पेंशन सिस्टम इनवेस्टमेंट के लिए धारा 80CCD (1B) में 50 हजार से ज्यादा कटौती का ऐलान कर सकती हैं. एनपीएस कटौती की दोहरीकरण के कई लाभ होंगे.

टैक्स बचत के अलावा, एनपीएस में ज्यादा निवेश से पुराने टैक्स सिस्टम के सिक्योरिटी रेट में इजाफा होगा.

मंदी से जूझते हाउसिंग सेक्टर को बूस्ट करना सरकार की प्रमुख प्राथमिकता होनी चाहिए. उभर रहे रियल एस्टेट सेक्टर में सीमेंट और स्टील के रूप में मांग पैदा करना, और रोजगार के मौके बढ़ाने से अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. इससे उन खरीददारों को प्रोत्साहन मिलेगा जिनकी लंबे समय से घर की तलाश पूरी नहीं हो पाई है.

सीतारमण, स्वकब्जे वाली संपत्ति के लिए हाउसिंग लोन पर वर्तमान में मिलने वाली 2 लाख रुपए ब्याज कटौती के फैसले को भी बदल सकती हैं.

इसके अलावा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना (सीएलएसएस) को जारी रखना चाहिए, जिससे सरकार कम आय और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को ब्याज सब्सिडी के जरिए घर खरीदने में मदद मिले. वित्त मंत्री सीतारमण को कोविड-19 के कहर और करदाताओं की इच्छाओं की बीच बेहतर संतुलन बनाना होगा और अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए राजस्व में इजाफे पर भी ध्यान देना होगा.

Disclaimer: कॉलम में व्यक्त किए गए विचार लेखक के हैं. लेख में दिए फैक्ट्स और विचार किसी भी तरह Money9.com के विचारों को नहीं दर्शाते.

Published - January 24, 2021, 04:45 IST