आने वाले दिनों में बैंक कस्टमर्स के लिए थोड़ी मुश्किल बढ़ सकती है. बैंक यूनियनों की मांग को अगर वित्त मंत्रालय मान लेता है तो बैंकों में कामकाजी दिनों की संख्या कम हो जाएगी और साथ ही बैंकों में स्टाफ भी कम नजर आएगा. इससे बैंक शाखाओं में भीड़भाड़ भी नजर आ सकती है.
दरअसल, बैंक यूनियनों ने कोविड की दूसरी लहर के बीच अपने कर्मचारियों को संक्रमण से बचाने के लिए वित्त मंत्रालय से कुछ उपाय करने की मांग की है. इनमें बैंक में कामकाजी दिनों की संख्या कम करने और न्यूनतम स्टाफ के साथ शाखाओं में काम करने जैसे निर्देश जारी करने की मांगें शामिल हैं.
अगर वित्त मंत्रालय इन मांगों को मान लेता है तो जाहिर तौर पर कस्टमर्स के लिए इससे मुश्किलें पैदा हो सकती हैं.
बैंक संगठन की मांग
नौ यूनियनों के संगठन युनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (UFBU) ने डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज के सचिव देबाशीष पांडा को लिखी चिट्ठी में मांग की है कि देश की सभी बैंक शाखाओं में कुछ सेफ्टी उपाय किए जाने चाहिए. UFBU ने कहा है कि ये बैंक शाखाएं कोविड संक्रमण का हॉटस्पॉट बन सकती हैं.
यूनियन ने मांग की है कि मल्टी-सेंटर्स पर सभी शाखाओं को खोलने की बजाय इस संख्या को सीमित किया जा सकता है और बैंकिंग सेवाओं को केवल कुछ चुनिंदा शाखाओं पर ही चलाना चाहिए. इससे बैंकरों और कस्टमर्स दोनों में संक्रमण फैलने का खतरा कम किया जा सकता है.
4-6 महीने के लिए लागू हों उपायः UFBU
यूनियन ने मांग की है कि बैंकों के कामकाजी घंटे या दिनों को कम करना चाहिए जैसा कि पिछले साल कोविड की शुरुआत के वक्त किया गया था. UFBU ने अपने ज्ञापन में कहा है, “हम मांग करते हैं कि आप सभी बैंकों को निर्देश दें कि वे न्यूनतम स्टाफ और अधिकारियों के साथ काम करें. एक-तिहाई स्टाफ के साथ काम करने, घर से काम करने जैसे उपायों को अगले 4-6 महीनों के लिए लागू कर देना चाहिए. स्टाफ और अधिकारियों को रोटेशन में बुलाया जाना चाहिए ताकि संक्रमण फैलने का खतरा कम किया जा सके.”
यूनियन ने मांग की है कि वित्त मंत्रालय को हब बैंकिंग मॉडल और कम वर्किंग घंटों जैसे उपायों पर सोचना चाहिए. इसके अलावा, यूनियन ने बैंकरों को प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन लगवाने की मांग भी की है ताकि उनमें भरोसा पैदा हो सके.
बैंक संगठन ने ये भी मांग की है कि कोविड वॉरियर्स के लिए केंद्र और कुछ राज्य सरकारों के 50 लाख रुपये के मुआवजे को सभी बैंकों के लिए भी लागू किया जाना चाहिए.