हमारा जीवन अनिश्चितता से भरा होता है. कई कारणों से हमें इमरजेंसी फंड की जरूरत किसी भी समय पड़ सकती है. ऐसे में सबसे ज्यादा काम आपकी प्रॉपर्टी आती है. विभिन्न वित्तीय संस्थाएं, जिनमें बैंक भी शामिल हैं, प्रॉपर्टी होल्डर को लोन देते हैं. प्रॉपर्टी के एवज में लोन लेने के दो तरीके होते हैं, पहला होम इक्विटी लोन और दूसरा मॉर्गेज लोन. दोनों ही लोन के अपने फायदे होते हैं. लोग अपनी जरूरत के हिसाब से इन्हें ले सकते हैं.
यह एक तरह का सिक्योर्ड मॉर्गेज लोन होता है. इसमें पूरी तरह से तैयार प्रॉपर्टी में मालिकाना हक के एवज में लोन दिया जाता है.
यह भी सिक्योर्ड लोन होता है. बैंक और नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां इसे जारी करती हैं. इसमें रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी या फिर कमर्शियल प्रॉपर्टी के एवज में लोन जारी किया जाता है.
लोन की मात्रा: होम इक्विटी लोन में प्रॉपर्टी की वैल्यू का 60 फीसदी तक लोन हासिल किया जा सकता है, जबकि मॉर्गेज लोन में 90 फीसदी में तक लोन मिल जाता है.
ब्याज दरें: मॉर्गेज लोन में होम इक्विटी लोन की तुलना में कम ब्याज लगता है. होम इक्विटी लोन में ब्याज दर मॉर्गेज लोन से ज्यादा, लेकिन पर्सनल लोन से कम होती है.
ब्याज दरों के प्रकार: होम इक्विटी लोन में ब्याज निश्चित होता है. मॉर्गेज लोन में ब्याज दर फ्लोटिंग होती है.
क्रेडिट स्कोर: जिनका क्रेडिट स्कोर बेहतर होता है, उन्हें मॉर्गेज लोन मिलना आसान होता है. दूसरी ओर, कम क्रेडिट स्कोर वालों के लिए होम इक्विटी लोन अच्छा विकल्प होता है.
प्रोसेसिंग टाइम: मॉर्गेज लोन में प्रोसेसिंग टाइम 10 दिनों का होता है, जबकि होम इक्विटी लोन में थोड़ा समय लग सकता है.
टैक्स में राहत: इन दोनों में मुख्य अंतर टैक्स में राहत का है. धारा 37(1) और धारा 24 के तहत मॉर्गेज लोन में टैक्स डिडक्शन की सुविधा मिलती है. जबकि, होम इक्विटी लोन में कर राहत नहीं प्राप्त होती.