बैंक गारंटी और लेटर ऑफ क्रेडिट में क्या अंतर है, जानिए कब होता है इनका इस्तेमाल

LC का इस्तेमाल इंटरनेशनल ट्रेड में होता है. यहां buyer और seller एक दूसरे को नहीं जानते हैं. एक्सपोर्टर और इंपोर्टर के टर्म में इनका इस्तेमाल होता है.

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LC और BG यानी Letter of Credit और Bank Guarantee क्या हैं और इनमें क्या अंतर होता है. ये दोनों नॉन-फंड बेस्ड क्रेडिट फैसिलिटी होती हैं. जो एक बैंक अधिकतर ट्रेडिंग फाइनेंस के अंदर देता है. कुछ लोग दोनों को एक ही इंस्ट्रूमेंट समझने लगते हैं, जबकि ये बहुत अलग-अलग होते हैं और अलग-अलग जगहों पर इस्तेमाल किए जाते हैं.

बैंक गारंटी (BG) क्या है?

जब कोई buyer और seller एक एग्रीमेंट करते हैं जिसमें seller-buyer को सामान भी बेच सकता है, कोई कॉन्ट्रैक्ट के जरिए उसके साथ काम करना चाह रहा हो, या एक कॉन्ट्रैक्टर और टेंडरिंग एजेंसी का भी एग्रीमेंट हो सकता है.

इस स्थिति में seller को buyer पर तुरंत भरोसा नहीं होता इसलिए वो buyer से परफॉरमेंस गारंटी मांगता है कि यदि वो दोनों साथ में काम करेंगे और उसमें यदि buyer द्वारा कोई गलती होती है, तो seller उसका मुआवजा buyer की परफॉरमेंस गारंटी से लेगा.

इस केस में buyer एक बैंक से रिक्वेस्ट करेगा कि वो इस बात की गारंटी ले कि यदि buyer द्वारा कोई गलती होती है तो बैंक उसका मुआवजा seller को देगा.

Letter of Credit (LC) क्या है?

आमतौर पर LC का इस्तेमाल इंटरनेशनल ट्रेड में होता है. यहां buyer और seller एक दूसरे को नहीं जानते हैं. अधिकतर ये एक्सपोर्टर और इंपोर्टर के टर्म में इस्तेमाल किया जाता है.

इसमें सेलर-बायर को ये कहता है कि मैं आपको गुड्स तब शिफ्ट करूंगा जब आप मुझे एक लेटर ऑफ क्रेडिट दे देंगे. इस केस में buyer, issuing bank (buyer’s bank) से लेटर ऑफ क्रेडिट का अनुरोध करता है.

जब issuing bank buyer की रिक्वेस्ट मान लेती है, तो वो advising bank जो की seller की बैंक होती है उसके पास लेटर ऑफ क्रेडिट भेज देती है. फिर advising bank लेटर ऑफ क्रेडिट (साख पत्र) सेलर को भेजता है जिससे सेलर संतुष्ट हो जाता है कि buyer अब business को लेके सीरियस है. फिर सेलर buyer को goods सप्लाई कर देता है. इस हाल में advising bank, seller को उसका पैसा देती है और issuing bank, advising bank को पेमेंट करती है और buyer, issuing बैंक को पेमेंट करता है.

बैंक गारंटी तथा LC में क्या अंतर होता है?

Letter of credit तथा Bank guarantee में यह डिफरेंस होता है कि LC में पेमेंट ट्रांजैक्शन पहले हो जाती है परंतु Bank guarantee में वास्तविक ट्रांजैक्शन जब होती है जब Buyer पेमेंट देने में विफल हो जाता है.

LC में एक तरह की ट्रांजैक्शन होती है और ये एक तरह की श्योरिटी होती है. ये एक प्रकार की सुरक्षा है कोR ट्रांजैक्शन नहीं है.

Bank Guarantee केवल किसी सामान को खरीदने बेचने में ही इस्तेमाल नहीं होती बल्कि इसे सरकारी टेंडर में, प्राइवेट टेंडरों में भी Bank Guarantee का इस्तेमाल किया जाता है. दूसरी तरफ लेटर ऑफ क्रेडिट मुख्यतः इंटरनेशनल ट्रेडिंग में उपयोग की जाती है.

बैंक BG और LC इश्यू करने से पहले बायर के बैंक के साथ रिलेशन, समय पर पेमेंट, बैलेंस शीट आदि चेक करते हैं.

Published - June 29, 2021, 04:18 IST