Gilt Account: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आज की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (Monetary Policy Committee) के ऐलानों में रिटेल निवेशकों (Retail Account) के गिल्ट खाता खोलने के लिए रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म का ऐलान किया है. RBI गवर्नर शक्तिकांता दास (Shaktikanta Das) ने इसे एक बड़ा कदम बताया और कहा कि गिल्ट खाता खोलने की अनुमति देने वाली कुछ देशों की लिस्ट में भारत शामिल हो जाएगा. लेकिन गिल्ट खाता (Gilt Account) होता क्या है जिसके लिए आज तक अनुमति नहीं थी और इससे निवेशकों को क्या फायदा होगा?
गिल्ट अकाउंट के जरिए छोटे निवेशक भी सरकारी सिक्योरिटीज और बॉन्ड मार्केट (Government Securities & Bonds) में पैसा लगा पाएंगे. सरकार पैसा जुटाने के लिए बॉन्ड या सिक्योरिटीज जारी करती है. सरकार G-Sec के इन पैसों को लेकर बाध्य होती है इसलिए इनमें ना के बराबर जोखिम होता है. यही वजह है कि इन्हें रिस्क-फ्री कहलाते हैं, सरकार की ओर से डिफॉल्ट की संभावना नहीं होती. बॉन्ड पर मूल रकम पर कूपन या ब्याज मिलता है जिससे निवेशकों की कमाई होती है. सरकार कभी कभी खर्च कम करने के लिए इनका बायबैक भी करती है.
सरकारी सिक्योरिटी (G-Sec) केंद्र या राज्य सरकारें जारी करती हैं जिन्हें ट्रेड किया जा सकता है.
अक्सर छोटी अवधि सिक्योरिटीज को ट्रेजरी बिल कहा जाता है जबकि लंबी अवधि की होती हैं वो सरकारी बॉन्ड या डेटेड सिक्योरिटी कहलाती हैं. ट्रेजरी बिल की अवधि अकसर एक साल के अंदर की होती है. भारत में आम तौर पर केंद्र सरकार ट्रेजरी बिल और सरकारी बॉन्ड दोनों जारी करती है लेकिन राज्य सरकारें सिर्फ बॉन्ड या डेटेड सिक्येरिटीज जारी कर सकती हैं.
रिजर्व बैंक अब रिटेल निवेशकों इन सरकारी सिक्योरिटीज में सीधे निवेश की सुविधा देगा जिसके लिए रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म (Retail Direct) बनेगा. इसके लिए सीधा रिजर्व बैंक में गिल्ट खाता (Gilt Account) खुलेगा.
पहले रिटेल निवेशक NSDL या CDSL जैसी डिपॉजिटरी के जरिए डिमैट खातों में सरकारी सिक्योरिटीज होल्ड कर सकते थे. सीमित बैंकों और पब्लिक डेट ऑफिस में ही गिल्ट खाता खुलवाने की अनुमति थी. ये बैंक या PD रिजर्व बैंक के पास CSGL खाता मेनटेन करते थे जिसके जरिए सरकारी सिक्योरिटीज में निवेश संभव था.
पॉलिसी के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में रिजर्व बैंक (RBI) गवर्नर शक्तिकांता दास ने रिटेल निवेशकों के लिए बड़ा स्ट्रक्चरल रिफॉर्म बताया. उन्होंने कहा भारत एशिया का पहला देश होगा जहां ये सुविधा होगी. फिलहाल US, ब्राजील जैसे चुनिंदा देशों में इसकी सुविधा है. इस कदम के जरिए उनकी कोशिश है कि रिटेल निवेशक के पास भी सरकारी बॉन्ड में निवेश का मौका हो.
रिजर्व बैंक (RBI) जल्द ही इसके लिए गाइडलाइंस जारी करेगा.