लोन लेने से पहले इस अहम शब्द को समझें

लोन चुकाने की आपकी क्षमता पर नजर डालता है. बैंक, ऐसा इसलिए करते हैं कि उनका ग्राहक भविष्य नियमित रूप से मासिक किस्त चुकाता रहे.

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ग्राहक के लोन चुकाने की क्षमता के आकलन के लिए बैंक FOIR का इस्तेमाल करते हैं.

ग्राहक के लोन चुकाने की क्षमता के आकलन के लिए बैंक FOIR का इस्तेमाल करते हैं.

लोन के जरिए लोग अपनी विभिन्न आर्थिक देनदारियों को पूरा कर पाते हैं. मकान, कार जैसी जरूरतों को पूरा करने के अक्सर हमें लोन लेना पड़ जाता है. जब कोई बैंक आपको लोन देता है तो वह सबसे पहले लोन चुकाने की आपकी क्षमता पर नजर डालता है. बैंक, ऐसा इसलिए करते हैं कि उनका ग्राहक भविष्य नियमित रूप से मासिक किस्त चुकाता रहे. ग्राहक के लोन चुकाने की क्षमता के आंकलन के लिए बैंक FOIR का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि, बहुत कम ऐसे ग्राहक होते हैं, जिन्हें अपर्याप्त FOIR होने के कारण, लोन देने से मना किया जाता हो.

FOIR क्या है?

फिक्स्ड ऑब्लिगेशन, कर्ज की वह मात्रा होती है, जो किसी व्यक्ति के ऊपर निश्चित अवधि तक बनी होती है. FOIR तय करते वक्त आवेदक की मासिक देनदारियों पर ध्यान दिया जाता है. इन देनदारियों में आपकी मासिक किस्त, क्रेडिट कार्ड बकाया वगैरह शामिल हो सकते हैं. इसके बाद, बैंक आपके मासिक आमदनी को देखते हैं. बैंकों की उम्मीद होती है कि आपकी कुल मासिक देनदारियां, आपकी मासिक आय के आधे से कम ही हो.

हालांकि, बैंक इसमें कुछ हद तक लचीलापन भी दिखा सकते हैं. जैसे यदि किसी मासिक आमदनी 1 लाख रुपए है तो, उसके लिए FOIR का अलग मापदंड हो सकता है और किसी की मासिक आय 20 हजार रुपए है तो उसके लिए FOIR का मापदंड अलग हो सकता है.

FIOR का महत्व

यह समझना बहुत जरूरी है कि आपका FOIR, लोन के आपके आवेदन पर बहुत असर डाल सकता है. यदि यह बैंक की उम्मीद के मुताबिक नहीं है तो आपका आवेदन खारिज भी हो सकता है. कम FOIR का मतलब, व्यक्ति की कम देनदारियों से होता है, इससे लोन चुकाने की उसकी क्षमता में इजाफा होता है.

Published - October 17, 2021, 04:23 IST