बैंकों में ट्रेजरी, करेंसी चेस्ट समेत संवेदनशील काम संभालने वाले कर्मचारियों को अब हर साल 10 दिन की ‘सरप्राइज लीव’ पर भेजा जाएगा. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सभी बैंकों को इसके लिए आदेश जारी कर दिया है. RBI ने बैंकों के जोखिम प्रबंधन यानी रिस्क मैनेजमेंट (risk management) को बेहतर बनाने के लिए यह कदम उठाया है. सरप्राइज लीव का यह नियम शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों के साथ ही ग्रामीण विकास बैंक और सहकारी बैंक समेत सभी बैंकों पर लागू होगा.
छुट्टी में कोई काम नहीं
अचानक दिए गए इस अवकाश के दौरान कर्मचारियों को बैंक के आंतरिक व कॉरपोरेट ई-मेल को छोड़कर भौतिक रूप से या ऑनलाइन किसी भी तरह से काम की जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी. कर्मचारियों के पास इस दौरान आंतरिक या कॉरपोरेट ईमेल की सुविधा रहेगी.
क्या कहता है RBI का आदेश
RBI ने बैंकों से कहा है, ‘‘एक विवेकपूर्ण परिचालन जोखिम प्रबंधन उपाय के रूप में, बैंक ‘अप्रत्याशित अवकाश’ नीति लागू करें. इसमें संवेदनशील पदों या संचालन (ऑपरेशन) जुड़े कामकाज करने वाले कर्मचारियों को हर साल कुछ दिनों, जो कि 10 कार्य दिवस से कम नहीं होगा, के लिए अवकाश पर भेजा जाएगा. यह अवकाश कर्मचारियों को बिना किसी पूर्व सूचना के दिया जाएगा. यानी इसमें कर्मचारियों के लिए एक आश्चर्य (सरप्राइज) का पुट होगा.’’
इन कामों से जुड़े कर्मचारी आएंगे दायरे में
बैंकों के जो कर्मचारी या अधिकारी कोषागार (ट्रेजरी) ऑपरेशन, करेंसी चेस्ट, रिस्क मॉडलिंग, मॉडल वैलिडेशन जैसे काम करते हैं, उनके कार्य को संवेदनशील माना जाता है. ये सभी अचानक छुट्टी के दायरे में आएंगे. इसके अलावा रिजर्व बैंक जल्द ही संवेदनशील पदों को लेकर एक सूची भी जारी करेगा, जिन पर यह नियम लागू होगा. नियम के तहत इन कर्मियों को बिना पूर्व सूचना के अचानक 10 दिन की छुट्टी पर भेजा जाएगा.
2015 में भी जारी हुआ था सर्कुलर
रिजर्व बैंक ने इससे पहले पंजाब नेशनल बैंक में नीरव मोदी का घोटाला सामने आने के बाद अप्रैल 2015 में भी इस तरह का एक सर्कुलर जारी किया था, पर उसमें अवकाश के लिए दिनों की संख्या स्पष्ट नहीं की थी. नए आदेश में आरबीआई ने स्पष्ट रूप से 10 कार्य दिवस के अवकाश की बात कही है. इस तरह केंद्रीय बैंक ने अनिवार्य अप्रत्याशित अवकाश की नीति को नए आदेश के जरिये अपग्रेड किया है. इससे 23 अप्रैल 2015 का पुराना सर्कुलर स्वत: निरस्त हो गया है.
बैंकों को मिला 6 महीने का समय
RBI ने बैंकों से उनके बोर्ड द्वारा स्वीकृत नीति के मुताबिक, संवेदनशील पदों की सूची तैयार करने और समय-समय पर इसकी समीक्षा करते रहने को कहा है. बैंकों से छह माह के भीतर रिजर्व बैंक के इस निर्देश का पालन करने को कहा गया है.