ज्वाइंट होम लोन के ये हैं फायदे और नुकसान

ज्वॉइंट होम लोन के नफे-नुकसानः कोई भी अपने पति या पत्नी, भाई-बहन या यहां तक कि माता-पिता के साथ ज्वाइंट होम लोन ले सकता है.

  • Team Money9
  • Updated Date - September 12, 2021, 03:41 IST
joint home loan, home loan, home loan interest rate, interest rate, these are the pros and cons of joint home loan

एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस के प्रबंध निदेशक और सीईओ, वाई विश्वनाथ गौड़ के अनुसार, कंपनी आशावादी है, क्योंकि तैयार घरों की जरूरत है

एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस के प्रबंध निदेशक और सीईओ, वाई विश्वनाथ गौड़ के अनुसार, कंपनी आशावादी है, क्योंकि तैयार घरों की जरूरत है

लोग अक्सर अपने पूरे जीवन में एक बार होम लोन लेते हैं क्योंकि इसका अमाउंट काफी ज्यादा होता है और रीपेमेंट करने का टेन्योर किसी भी दूसरी तरह के लोन की तुलना में लंबा होता है. कई लोग कई फायदे पाने के लिए अपने जीवनसाथी या भाई-बहन या यहां तक कि माता-पिता के साथ ज्वाइंट में होम लोन लेते हैं. ज्वाइंट होम लोन एक एप्लीकेंट द्वारा परिवार के कमाने वाले सदस्य के साथ लिया जा सकता है जिसमें उसका जीवनसाथी, भाई-बहन या माता-पिता शामिल हो सकते हैं. Money9 आपको बताएगा ज्वाइंट होम लोन के फायदे और नुकसान.

फायदे

EMI का हिस्सा

ज्वाइंट लोन के सबसे बड़े फायदों में से एक यह है कि EMI चुकाने की जिम्मेदारी प्राइमरी और सेकेंडरी बोरोअर के बीच समान होती है, भले ही प्रॉपर्टी के ओनरशिप का रेशियो या नेचर कुछ भी हो. यह रीपेमेंट के बोझ को कम करेगा, क्योंकि होम लोन रीपेमेंट टेन्योर आम तौर पर 10 साल से 30 वर्ष तक होता है.

अधिक लोन अमाउंट

बैंक चाहता है कि EMI, एप्लिकेंट की मंथली इनकम के 50% -55% से ज्यादा न हो. एक ज्वाइंट लोन एप्लीकेशन आपके द्वारा उधार लिए जा सकने वाले अमाउंट को लगभग दो से तीन गुना बढ़ा देता है, अगर को-एप्लीकेंट के पास एक सोर्स ऑफ इनकम है.

ज्यादा लोन अमाउंट से आप अपनी पसंद का घर खरीद सकते हैं.

टैक्स हॉलिडे

ज्वाइंट लोन के मामले में, सेक्शन 80C और सेक्शन 24 के तहत होम लोन पर टैक्स बेनिफिट लेने के लिए को-बोरोअर को को-ओनर होने की जरूरत होती है. यहां, आप सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक का डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं.

इसके अलावा, आप IT एक्ट के सेक्शन 24 के तहत स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन के लिए दिए किए गए 2 लाख रुपये तक के अमाउंट पर टैक्स बचा सकते हैं. ज्वाइंट बोरोअर होने के नाते, दोनों व्यक्तियों को होम लोन पर टैक्स बेनिफिट मिलेगा.

डाउन पेमेंट

डाउन पेमेंट एप्लिकेंट की सेविंग के आधार पर किया जाना चाहिए. बैंकों को आमतौर पर प्रॉपर्टी वैल्यू के 10% से 30% के बीच डाउन पेमेंट की जरूरत होती है.

एक ज्वाइंट लोन एप्लिकेंट होने के नाते लोन का डाउन पेमेंट ज्यादा होता है और EMI भी कम है और सभी बोरोअर के बीच समान रूप से डिस्ट्रीब्यूट की जाती है.

नुकसान

डिफॉल्ट के मामले में

दोनों एप्लिकेंट ज्वाइंट होम लोन के लिए समान रूप से रिस्पांसिबल हैं. यदि एक एप्लिकेंट EMI का भुगतान करना बंद कर देता है, तो इसका प्रभाव दूसरे एप्लिकेंट पर पड़ता है. दूसरे को उस घाटे की भरपाई करनी होगी.

दोनों एप्लीकेंट के क्रेडिट स्कोर और क्रेडिट हिस्ट्री पर इसका खराब प्रभाव पड़ेगा, भले ही कोई एक व्यक्ति डिफॉल्ट करे.

बोझ का ट्रांसफर

यदि को-बोरोअर में से एक अपनी नौकरी खो देता है या फाइनेंशियल इमरजेंसी का सामना करता है, तो रीपेमेंट का बोझ दूसरे साथी पर पड़ता है. यह एक फाइनेंशियल दबाव डाल सकता है जिससे EMI डिफॉल्ट हो सकता है.

सेप्रेशन या डेथ

अगर कोई कपल भविष्य में अलग होने का फैसला करता है या एक को-बोरोअर लोन चुकाने का विकल्प नहीं चुनता है, तो लोन का भुगतान करने की पूरी जिम्मेदारी दूसरे एप्लिकेंट पर आ जाएगी.

रीपेमेंट न कर पाने की स्थिति में दोनों बोरोअर पर कानूनी दबाव पड़ सकता है. इससे बचने के लिए, आप पहले से ही लोन लायबिलिटी में प्रत्येक भागीदार के हिस्से को मेंशन करते हुए एक एग्रीमेंट साइन कर सकते हैं.

साथ ही, यदि ज्वाइंट बोरोअर में से किसी एक की मृत्यु हो जाती है तो EMI का भार पूरी तरह से दूसरे बोरोअर पर आ जाता है.

Published - September 12, 2021, 03:41 IST