अगर आप कोइ प्रॉपर्टी खरीदना चाहते हैं और उसके लिए होम लोन लेना चाहते हैं तो उसके लिए एक प्री अप्रूवल कराने का भी ऑप्शन होता है. आप प्रॉपर्टी खरीदने से पहले ही एक होम लोन का अप्रूवल करा सकते हैं. प्री अप्रूव्ड होम लोन का मतलब है कि बैंक ने आपकी लोन चुकाने की क्षमता का आंकलन करके आपको इन-प्रिंसिपल लोन देने को मंजूरी दे दी है. ये मंजूरी एक सीमित समय के लिए होती है, उस दौरान आप मनपसंद प्रॉपर्टी खोज सकते हैं. तो आइए पहले जानते हैं कि क्या होते हैं प्री-अप्रूव्ड लोन-
जब भी कर्जदाता कहता है कि आपका लोन प्री-अप्रूव्ड हो गया है या फिर आप इंस्टैंट अप्रूवल के योग्य हैं, तो इसका मतलब यह है कि आपकी प्रोफाइल में दी गई जानकारी जैसे कि इनकम, पेमेंट हिस्ट्री, बैंक एकाउंट में डेबिट या क्रेडिट, सिबिल स्टेट्स और स्कोर आदि के आधार पर आपका नाम शॉर्ट लिस्ट किया गया है. इन ऑफर्स का मतलब केवल इतना होता है कि आपकी जांच का पहला चरण पूरा हो गया है और अगर आप चाहते हैं तो लोन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सकता है.
प्रॉपर्टी को लेकर लीगल और टेक्निकल जांच-पड़ताल की जाती है. अगर आपके पास प्री-अप्रूव्ड लोन है लेकिन जो प्रॉपर्टी आपने पसंद की है, वो बैंक के पैरामीटर पर खरी नहीं है, तो उस प्रॉपर्टी के लिए आपको लोन नहीं मिलेगा.
आमतौर पर प्री-अप्रूव्ड लोन की वैलिडिटी आमतौर पर छह महीने होती है. इस दौरान ही आपको प्रॉपर्टी पसंद कर लेनी होती है. यदि यह ऑफर इंस्टैंट अप्रूव्ल लोन के लिए योग्य है तो आपको प्रोसेसिंग फीस का भी भुगतान करना होगा.
प्री-अप्रूव्ड लोन की वैलिडिटी के दौरान लोन की राशि, अवधि और ब्याज दर तय हो जाती है, लेकिन ये सिर्फ अनुमानित होती है. ब्याज दर और दूसरी शर्तें फाइनल तरीके से जब आप लोन लेते हैं तो वह बदल भी जाती है.
लोन अप्रूव होने के बाद आप बेहतर तरीके से प्रॉपर्टी सर्च कर सकते हैं. आपको अपना बजट भी अच्छी तरह पता होता है. इससे ओवरऑल प्रोसेसिंग टाइम कम हो जाता है और पूरी प्रक्रिया आसान हो जाती है. इतना ही नहीं आप विक्रेता या बिल्डर से बेहतर ढंग से बारगेनिंग कर सकते हैं, क्योंकि आप उसे तुरंत पैसे देने की स्थिति में हैं. आप दूसरे खरीदारों के मुकाबले तेजी से पेमेंट कर सकते हैं. इस वजह से आप प्रॉपर्टी पर डिस्काउंट पा सकते हैं.
प्री-अप्रूव्ड का मतलब ये बिल्कुल नहीं है कि आपका लोन अप्रूव हो गया है या फिर लोन मिलने की कोई गारंटी दी जा रही है.
आपका क्रेडिट ब्लोक हो जाता है, यानी अगर अगले 2-3 महिने में फिर से लोन की जरुरत पड़ी तो आपको लोन नहीं मिलेगा.
वेलिडिटी पीरियड में कोई डील नहीं हो पाई तो प्रोसेसिंग फीस दोबारा चुकानी पड़ेगी. सिर्फ फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट का ऑप्शन मिलता है, फिक्स ब्याज दर का विकल्प नहीं मिलेगा.