एक बार फिर बैंकों के नॉन परफॉर्मिंग एसेक्टस (NPA) में गिरावट आई है. सोमवार को वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड़ ने जानकारी दी है कि इस साल मार्च माह के आखिर में बैंकों का NPA 61,180 करोड़ से घटकर 8.34 लाख करोड़ रुपये हुआ. इससे पहले अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (एससीबी) ने मार्च 2020 के अंत में अपनी बैलेंस शीट पर 8.96 लाख करोड़ रुपये का NPA लिया था.
केंद्रीय मंत्री कराड़ ने बताया कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के डेटा के अनुसार मार्च 2015 में NPA 3,23,464 करोड़ रुपये से बढ़कर मार्च 2018 को 10,36,187 करोड़ रुपये रहा लेकिन सरकार की नीतियां और सुधार की रणनीति से मार्च 2019 में यह घटकर 9,33,779 करोड़ रुपये रह गया. यह सिलसिला आगे भी देखने को मिला जब मार्च 2020 में 8,96,082 और अब घटकर 8,34,902 करोड़ रुपये रह गया है.
लोकसभा में दी जानकारी
लोकसभा में उठे एक सवाल पर केंद्रीय मंत्री ने यहां तक बताया कि पब्लिक सेक्टर बैंक का NPA साल 2018 में 8,95,601 करोड़ रुपये तक था. उन्होंने कहा कि अगर नेट NPA की बात करें तो साल 2014 से 2018 के बीच यह लगातार बढ़ रहा था और मार्च 2018 तक यह अपने पीक पर भी पहुंच गया लेकिन उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के नेतृत्व में गिरावट आना शुरू हुई. मार्च 2018 से मार्च 2021 के बीच यह 4,54,221 से घटकर 1,97,360 करोड़ रुपये तक पहुंच गया.
सरकार की नीतियों को दिया श्रेय
इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार और उनकी आर्थिक नीतियों की जमकर तारीफ भी की. आंकड़ों के जरिए उन्होंने यूपीए सरकार-2 में बैंकों पर कर्ज अधिक होने और फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साल 2014 में पहली बार सरकार बनने के बाद आर्थिक नीतियों में सुधार आना शुरू हुआ. उनका एक इशारा यह भी था कि साल 2014 से 2018 तक मोदी सरकार में लिए गए फैसलों का असर वित्तीय वर्ष 2018-19 के आखिरी माह से दिखाई देना शुरू हुआ.
मंत्री कराड़ ने यहां तक कहा कि पब्लिक सेक्टर बैंकों ने वित्तीय वर्ष 2015-16, 2016-17, 2017-18, 2018-19 और 2019-20 में क्रमश: 137151, 158994, 155603, 149819 और 1,74,640 करोड़ रुपये का ऑपरेटिंग प्रॉफिट दर्ज किया. उन्होंने कहा कि महामारी के कारण सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी (-7.3%) में कमी के बावजूद अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) की क्रेडिट ग्रोथ साल 2020-21 के लिए पॉजिटिव बनी हुई है.