एक अक्टूबर सूर्योदय स्मॉल फाइनेंस बैंक में एक नए सवेरा लेकर आएगा. साढ़े चार साल पुराने बैंक ने इस दिन से अपने सभी एटीएम बंद करने का फैसला लिया है. इसके पीछे तर्क यह है कि बैंक के 14 लाख ग्राहकों का एक बड़ा हिस्सा यूपीआई में शिफ्ट हो गया है. सूर्योदय का यह निर्णय भारतीय बैंकिंग उद्योग के लिए भी एक नया सवेरा लाएगा, क्योंकि यह युवा बैंक एटीएम को पूरी तरह से समाप्त करने वाला पहला बैंक होगा.
जाहिर तौर पर, व्यापारिक दृष्टि से सही यह तर्क आम लोगों के लिए खतरनाक हो सकता है, अगर आने वाले समय में बैंकों के अधिक से अधिक बोर्डरूम इस विचार को स्वीकार्य पाते हैं. यह सच है कि देश में मात्रा और मूल्य दोनों के हिसाब से UPI लेनदेन तेजी से बढ़ रहा है. जून 2021 में 5,47,373 करोड़ रुपये के 2.8 बिलियन लेनदेन दर्ज किए गए, जो कि एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में मात्रा के हिसाब से 10.6% और मूल्य के हिसाब से 11.56% वृद्धि दर्शाता है. यह भी सच है कि UPI लेन-देन में अत्यधिक सुविधा लेकर आया है और युवा पीढ़ी द्वारा इसे अधिक से अधिक अपनाया जाएगा. चूंकि सरकार यूपीआई पर जोर दे रही है, इसलिए अनुकूल इको सिस्टम के कारण यह और भी तेजी से बढ़ेगा.
हालांकि, यह किसी भी तरह से एटीएम के महत्व को कम नहीं करता है. जुलाई के अंत में देश में 213,000 एटीएम थे, जो 2020 में समान अवधि की संख्या से 1.5% अधिक थे. वास्तविकता यह है कि भारतीय नागरिकों का एक बड़ा वर्ग अपनी नियमित बैंकिंग जरूरतों के लिए एटीएम पर निर्भर है. नकदी निकालने से लेकर चेक बुक का ऑर्डर देने तक, उन्हें एटीएम जाना पड़ता है.
वरिष्ठ नागरिकों के लिए हर छोटे लेन-देन के लिए यूपीआई को अपनाना असंभव है और यूपीआई लेनदेन इंटरनेट सेवाओं पर निर्भर रहता है, जो देश के सभी कोनों में एक जैसी नहीं है. इसके अलावा, उम्मीदों के विपरीत हाल के दिनों में नकदी की आवश्यकता बढ़ी है व महामारी के दौरान एटीएम के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है.
बैंक अधिकारियों को यह ध्यान रखना चाहिए कि एटीएम लाखों ग्राहकों को अपनी शाखाओं से दूर रखते हैं. अगर वे छोटे परिसर में भीड़ लगाते, तो उन्हें उनकी सेवा के लिए हजारों और लोगों को तैनात करना पड़ता. एटीएम स्वतंत्र भारत में बैंकिंग सेवाओं में सबसे महत्वपूर्ण संरचनात्मक परिवर्तनों में से एक रहा है. बैंकिंग नियामक और सरकार को इस तथ्य से अवगत होना चाहिए, वरना सूर्योदय का एक छोटा सा कदम भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में एक बड़ी गलती में बदल सकता है.