शहरी सहकारी बैंकों के सामने खड़ी परेशानियों का निवारण करने और सेक्टर को मजबूत बनाने के लिए बनाई गई एक्सपर्ट कमिटी ने एक रिपोर्ट जारी की है. इसके पहले भाग में अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों (UCB) की जरूरतों और दूसरे भाग में सुझाव पेश किए गए हैं. RBI ने इस रिपोर्ट पर स्टेकहोल्डरों से 30 सितंबर तक कमेंट मंगवाए हैं. इसके बाद नियमों को तय किया जाएगा.
रिपोर्ट में कहा गया है कि UCB में देश के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को मजबूती देने की क्षमता है. हालांकि, फिलहाल इससे 67 लाख लोग जुड़े हैं. यह वैसे तो खुद में बड़ा आंकड़ा है, मगर सुव्यवस्थिक क्रेडिट व्यवस्था की सुविधा नहीं ले पा रही कुल आबादी का एक छोटा हिस्सा ही है. यह क्षमता और जरूरत के लिहाज से कम है.
डिपॉजिट के हिसाब से 4-टियर में बांटा जाए
कमिटी ने सुझाव दिया है कि इन बैंकों को उनमें होने वाले डिपॉजिट के आधार पर रेगुलेट करने के लिए चार-स्तरीय स्ट्रक्चर तैयार किया जाना चाहिए. इसमें पहले टियर में 100 करोड़ रुपये तक के डिपॉजिट वाले बैंक, दूसरे में 100-1000 करोड़ रुपये, तीसरे में हजार से 10 हजार करोड़ और चौथे में 10 हजार करोड़ रुपये तक के डिपॉजिट वाले बैंकों को रखा जा सकता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कम से कम 300 करोड़ रुपये के कैपिटल के साथ एक ऑर्गनाइजेशन बनाई जानी चाहिए, जो कर्जदाताओं को संभाले. यह छोटे UCB की सेल्फ-रेगुलेटरी बॉडी के तौर पर काम कर सकती है.
सेल्फ रेगुलेटरी बॉडी से मिलेगी मदद
जरूरत पड़ने पर यह बैंकों को फंड और कैपिटल स्पोर्ट मुहैया करा सकती है. ऑर्गनाइजेशन के जरिए बैंकों को विस्तार करने में मदद मिलेगी. रेगुलेटरी जरूरतों को पूरा करने पर बैंकों को अन्य ब्रांच खोलने की अनुमति भी मिल सकेगी. आगे चलकर इस संस्था को सदस्य बैंकों की ओनरशिप वाला यूनिवर्स बैंक बनाया जा सकता है.
कमिटी ने रिपोर्ट में कहा है कि RBI ऑर्गनाइजेशन को वन-टाइम ग्रांट देने पर विचार कर सकता है. इसके जरिए सदस्य बैंकों को IT सपोर्ट दिया जाएगा. एक बार ऑर्गनाइजेशन के स्थिर हो जाने पर नए UCB को लाइसेंस दिए जा सकते हैं. कमिटी का कहना है कि छोटे UCB आम जनता के लिए पहली पसंद के बैंक बनने की क्षमता रखना है.
देश के को-ऑपरेटिव बैंक लंबे समय से मुश्किल वक्त से गुजर रहे हैं. 2021 में अब तक केंद्रीय बैंक ने कम से कम 48 दिशानिर्देश उनके लिए जारी किए हैं. छह बैंकों का लाइसेंस रद्द हो चुका है. वहीं, 75 ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जहां नॉन-कंप्लायंस के चलते UCB को दंडित किया गया है. 2020 में यह आंकड़ा 23 और 2019 में केवल सात था. इन सबको देखतो हुए, RBI ने फरवरी में UCB के लिए पूर्व डिप्टी गवर्नर एन एस विश्वनाथन के नेतृत्व में एक्सपर्ट कमिटी बनाए जाने का ऐलान किया था.