ATM में कैश की कमी होने पर पेनल्टी में ढील दे सकता है आरबीआई

इस सर्कुलर के अनुसार एक महीने में दस घंटे से ज्यादा समय तक एटीएम में कैश न होने पर दस हजार तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया.

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कई नगर निगमों ने कोविड प्रबंधन के चलते अन्य क्षेत्रों में खर्च में कटौती की जानकारी दी. सर्वेक्षण में 22 प्रतिशत ने महामारी की दूसरी लहर के दौरान 50 प्रतिशत से ज्यादा की राजस्व हानि की जानकारी दी

कई नगर निगमों ने कोविड प्रबंधन के चलते अन्य क्षेत्रों में खर्च में कटौती की जानकारी दी. सर्वेक्षण में 22 प्रतिशत ने महामारी की दूसरी लहर के दौरान 50 प्रतिशत से ज्यादा की राजस्व हानि की जानकारी दी

ATM Outage Circular Review: भारतीय रिजर्व बैंक अपनी योजनाओं की समीक्षा करने में जुटा हुआ है. जिसके बाद एटीएम में कैश की कटौती होने पर नियामक उधारदाताओं को सजा देने के लिए नई व्यवस्था बनाने की तैयारी में हैं. एटीएम में कैश की फिर से भरने के लिए बैंकों को कई इनपुट्स मिले हैं. जिनकी समीक्षा करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. सेंट्रल बैंक के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर ने इस बात की जानकारी दी.

ग्रामीण क्षेत्रों के ATMs पर कैश की उपलब्धता सुनिश्चित करना है मकसद

टी रबी शंकर ने कहा कि एटीएम में आउटेज यानि कि कैश की कमी होने पर जुर्माना लगाने के पीछे मंशा सिर्फ एक है कि एटीएम पर पूरा ध्यान रखा जा सके. खासतौर से ग्रामीण और अर्धशहरी क्षेत्रों में जहां एटीएम में कैश की उपलब्धता पर कम ध्यान दिया जाता है. टी रबी शंकर ने कहा कि इस मामले पर बैंक को कई अलग अलग प्रतिक्रियाएं मिली हैं. जिनमें से कुछ पॉजिटिव हैं तो कुछ चिंता बढ़ाने वाली भी हैं. दरअसल, एटीएम मशीन का स्थान सुनिश्चित करना एक बड़ा मुद्दा है. जिसके लिए फीडबैक लिया जा रहा है और समीक्षाएं भी जारी हैं. कोशिश ये है कि इन्हें बेहतर तरीके से लागू किया जा सके.

RBI से नियमों में ढील देने की मांग

9 सितंबर को ही ईटी ने एक रिपोर्ट में दावा किया था कि एटीएम के लिए कैश उपलब्ध कराने वाले उधारदाताओं ने भारतीय रिजर्व बैंक से योजना में ढील देने की मांग की है. उनका तर्क है कि ग्रामीण इलाकों में एटीएम को फिर से भरने में सख्ती उनकी लागत को काफी बढ़ा सकती है और उनके व्यवसाय को अव्यवहारिक बना सकती है. बैंकिंग नियामक आयोग ने अगस्त माह में ही सभी बैंकों और व्हाइट लेबल एटीएम ऑपरेटरों को ये निर्देश दिए कि वे एटीएम में नकदी की उपलब्धता की मजबूत प्रणाली विकसित करें. जिससे कैश आउट की स्थिति से बचा जा सके. इस सर्कुलर के अनुसार एक महीने में दस घंटे से ज्यादा समय तक एटीएम में कैश न होने पर दस हजार तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया.

दूर-दराज के ATMs में नोटों की उपलब्धता निरंतर बनाए रखना है कठिन

बैंकों का ये मानना है कि सुदूर ग्रामीण इलाकों में नकदी की उपलब्धता में कमी आ सकती है. क्योंकि, वहां तक पहुंच कर एटीएम स्थापित करने और बनाए रखने दोनों में ही लागत बहुत ज्यादा आएगी. कमजोर नेटवर्किंग और एटीएम के बीच में दूरियों की वजह से सुदूर ग्रामीण इलाकों में एटीएम में नोटों की उपलब्धता बनाए रखना बहुत कठिन है, इसमें लागत भी बहुत ज्यादा है.‘ नाम न छापने की शर्त पर एक बैंकर ने ये बात कही. ये ऐसे स्थान हैं जहां नकदी भरने और किसी तकनीकी खामी को दूर करने के लिए भी नकद प्रबंधन कंपनियां कुछ दिनों में एक बार ही आती हैं.

ATMs की संख्या घटा रहे हैं बैंक

ज्यादा लागत के चलते स्मॉल फाइनेंस बैंक अब ऐसे इलाकों से धीरे धीरे अपने एटीएम कम कर रहे हैं. सूर्योदय भी ऐसा ही एक लघु वित्त बैंक है जिसने अपने 26 एटीएम बंद करने का फैसला लिया है. साथ ही अपने ग्राहकों को दूसरे बैंकों में डेबिट कार्ड उपयोग करने का ऑप्शन दिया है. ये बैंक अपने ग्राहकों को दूसरे बैंक के एटीएम से 5 – 7 ट्रांजेक्शन मुफ्त देगा. ऐसा करने सूर्योदय बैंक पहला घरेलू ऋणदाता बैंक बन गया है, जो एटीएम मशीनों को पूरी तरह समाप्त कर रहा है.

एक नजर एटीएम की घटती बढ़ती संख्या पर डालें तो अगस्त के अंत तक देश में 2.13 लाख एटीएम थे. पिछले साल अगस्त के अंत तक देश में 2.09 लाख एटीएम थे. यानि एटीएम की संख्या में 1.5% की मामूली वृद्धि ही देखी गई. इनके मुकाबले माइक्रो एटीएम की संख्या में एक साल में 60 प्रतिशत तक इजाफा हुआ. पिछले साल अगस्त तक माइक्रो एटीएम 3.07 लाख थे जो इस साल तक बढ़ कर 4.94 लाख हो गए.

इंटरचेंज फी में बढ़ोतरी

बिजनेस को ज्यादा व्यावहारिक बनाने के लिए आरबीआई ने हाल ही में इंटरचेंज फी को 15 रु. से बढ़ाकर 17 रु. कर दिया है. ये वो फीस है जो कार्ड जारीकर्ता बैंक उस बैंक को अदा करता है जहां से कैश निकाला जाता है. इसके साथ ही ग्राहकों के लिए तय शुल्क सीमा को भी बढ़ा कर 20 रु. से 21 रु. कर दिया गया है.

Published - October 10, 2021, 02:23 IST