बड़े औद्योगिक घरानों के लिए बैंक लाइसेंस के दरवाजे बंद रहने की संभावना

Banking License to Corporates: इंटरनल वर्किंग ग्रुप ने पिछले साल नवंबर में इसे लेकर सुझाव दिया था. RBI 10 दिनों के भीतर इसपर अंतिम रिपोर्ट जारी करेगा

rbi may not allow banking license to large corporate houses

गवर्नर शक्तिकांत दास अपनी ओर से स्पष्ट थे कि IWG की रिपोर्ट को केंद्रीय बैंक के दृष्टिकोण के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए

गवर्नर शक्तिकांत दास अपनी ओर से स्पष्ट थे कि IWG की रिपोर्ट को केंद्रीय बैंक के दृष्टिकोण के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) बड़े औद्योगिक घरानों (large industrial houses) को बैंकिंग लाइसेंस (banking license) जारी करने के पक्ष में नहीं दिख रहा है. इंटरनल वर्किंग ग्रुप (IWG) ने पिछले साल नवंबर में इसे लेकर सुझाव दिया था. रेगुलेटर 10 दिनों के भीतर अंतिम रिपोर्ट जारी करेगा, जिसमें वह अपना रुख स्पष्ट कर सकता है. बिजनेस स्टैंडर्ड ने एक टॉप सोर्स के हवाले से कहा कि ‘यथास्थिति जारी रहने की उम्मीद है’.

बैंकिंग लाइसेंस दिए जाने की बढ़ गई थी उम्मीद

निजी बैंकों के लिए मौजूदा स्वामित्व दिशानिर्देशों (ownership guidelines) और कॉर्पोरेट संरचना (corporate structure) की समीक्षा के लिए IWG की स्थापना के बाद बड़े औद्योगिक घरानों को बैंकिंग लाइसेंस दिए जाने की उम्मीदें बढ़ गई थीं. IWG ने 20 नवंबर, 2020, को अपनी रिपोर्ट सबमिट की थी. इसमें औद्योगिक घरानों को बैंकिंग लाइसेंस जारी करने के फायदे और नुकसान (pros and cons) के बारे में बताया गया था.

RBI की रिपोर्ट से क्या है उम्मीद

RBI की अंतिम रिपोर्ट में ऑपरेशनल नेचर की अधिक जानकारी दिए जाने की उम्मीद है, लेकिन नीतिगत रुख से यह बड़े औद्योगिक घरानों को बैंकिंग लाइसेंस जारी करने के पक्ष में नहीं लगता. अन्य सूत्र ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘IWG ने प्राइवेट बैंकों के लिए मौजूदा नियामक फ्रेमवर्क के कई अन्य पहलुओं को छुआ था और लाइसेंस जारी करना केवल एक हिस्सा था जिसे हाइलाइट किया गया था.’

क्या कहा था गवर्नर शक्तिकांत दास ने

गवर्नर शक्तिकांत दास अपनी ओर से स्पष्ट थे कि IWG की रिपोर्ट को केंद्रीय बैंक के दृष्टिकोण के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. उन्होंने 3 दिसंबर, 2020, को कहा था, ‘IWG के दो एक्सटर्नल मेंबर हैं, जो RBI के केंद्रीय बोर्ड के सदस्य भी हैं. IWG ने स्वतंत्र रूप से कार्य किया है. उसने अपना दृष्टिकोण दिया है.’

1993 में लिबरलाइज्ड लाइसेंसिंग पॉलिसी (liberalised licensing policy) के अस्तित्व में आने के बाद से देश के बड़े कॉरपोरेट घराने बैंकिंग सेक्टर में कदम रखने की कोशिश कर रहे हैं.

ज्यादातर लोग लाइसेंस दिए जाने के पक्ष में नहीं

IWG ने औद्योगिक घरानों को बैंकिंग लाइसेंस दिए जाने के विषय को लेकर RBI के सेवारत और सेवानिवृत्त डिप्टी गवर्नरों, बैंकरों, कानूनी विशेषज्ञों और अन्य पेशेवरों के साथ बातचीत की थी. एक को छोड़कर कोई भी कॉरपोरेट और औद्योगिक घरानों को लाइसेंस की अनुमति देने के पक्ष में नहीं था. विचार यह था कि कॉरपोरेट घरानों में कॉरपोरेट गवर्नेंस संस्कृति अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप नहीं है. बैंक के साथ प्रमोटरों की गैर-वित्तीय गतिविधियों को रोकना मुश्किल होगा.

इंटरकनेक्टेड लेंडिंग की जताई थी आशंका

यह भी कहा गया था कि गैर-वित्तीय व्यवसाय (non-financial business) में कोई भी तनाव (stress) बैंक में फैल सकता है. इंटरकनेक्टेड लेंडिंग (interconnected lending) की भी आशंका व्यक्त की गई थी.

यह भी व्यापक रूप से माना गया था कि जहां तक पूंजी की आवश्यकता को पूरा करने की बात है, अच्छी तरह से शासित बैंकों के लिए कॉर्पोरेट घरानों के अलावा अन्य स्रोतों से पूंजी आकर्षित करना मुश्किल नहीं है. इसके अलावा, यह भी कहा गया था कि कॉरपोरेट और औद्योगिक घरानों को बैंकिंग लाइसेंस दिए जाने के लिए रेगुलेटरी और सुपरविजन कैपेसिटी को बढ़ाने की जरूरत पड़ेगी.

Published - September 18, 2021, 03:29 IST