एक अक्टूबर से आपके डेबिट और क्रेडिट कार्ड पर कोई भी स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन फेल हो जाएंगे. इसका मतलब यह हो सकता है कि रेकरिंग पेमेंट जैसे OTT सब्सक्रिप्शन, यूटिलिटी बिल पेमेंट, इंश्योरेंस प्रीमियम या आपके कार्ड से जुड़ा कोई रेकरिंग पेमेंट फेल होने की संभावना है. ऐसा इसलिए है क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक ने एक कॉमन बिल पेमेंट सिस्टम बनाने और इंटीग्रेट करने के लिए डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम को अनिवार्य कर दिया है. हालांकि, पेमेंट इकोसिस्टम ने इस नए अरेंजमेंट के लिए अपना समय लिया है: इंटीग्रेट करने की पहले डेडलाइन 1 अप्रैल थी लेकिन अब यह 1 अक्टूबर है.
आपके द्वारा अपने डेबिट और क्रेडिट कार्ड पर क्रिएट किए स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन 1 अक्टूबर से फेल हो जाएंगे. आरबीआई के नए नियमों के अनुसार, आपको नए पेमेंट प्लेटफॉर्म पर उन इंस्ट्रक्शन को फिर से क्रिएट करने की जरूरत है, जिन्हें आपके बैंक और मर्चेंट (उदाहरण के लिए, नेटफ्लिक्स) दोनों को इंटीग्रेटेड करना होगा. यदि आपके बैंक या आपके मर्चेंट ने इंटिग्रेशन कंप्लीट नहीं किया है, तो आपको अपने रेकरिंग बिलों का सेटलमेंट अन्य माध्यमों जैसे कि वन-टाइम कार्ड पेमेंट या नेटबैंकिंग बिलर पेमेंट के माध्यम से करना होगा.
नए नियम डेबिट और क्रेडिट कार्ड, UPI और प्रीपेड कार्ड के जरिए बार-बार पेमेंट करने पर लागू होते हैं. आपके बिलों का पेमेंट समय पर होता रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए आपको इन इंस्ट्रूमेंट पर अपने स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन को फिर से क्रिएट करना होगा. दूसरा, 5000 रुपये से ऊपर के बिल को OTP के माध्यम से एक एडिशनल ऑथेंटिकेशन की जरूरत होगी.
नया प्लेटफॉर्म आपको आगामी बिल पेमेंट के बारे में SMS और ईमेल के माध्यम से एलर्ट करेगा ताकि आप अपने रेकरिंग पेमेंट को देखने, मॉडिफाई करने या कैंसिल करने में सक्षम हों. कुल मिलाकर, ये पेमेंट अब आपकी जानकारी के साथ-साथ सहमति से भी होंगे. इससे ग्राहकों, बैंकों और मर्चेंट के लिए अनवॉन्टेड पेमेंट के कारण होने वाली तकलीफ कम हो जाएगी.
आपके कार्ड और UPI. ये आपके बैंक के माध्यम से स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन और पेमेंट पर लागू नहीं होते हैं, जैसे कि आपके SIP, EMI, या नेटबैंकिंग के माध्यम से बिल पेमेंट. यदि वो आपके कार्ड से लिंक नहीं हैं, तो उन्हें वैसे ही जारी रखना चाहिए. आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी गैर जरूरी पेमेंट आपके कार्ड से लिंक नहीं है उदाहरण के लिए आप नेटफ्लिक्स अकाउंट को आसानी से रिन्यू कर सकते हैं, लेकिन एक लैप्स इंश्योरेंस पॉलिसी कई जटिलताओं का कारण बन सकती है. एक अक्टूबर से आपके कौन से रेकरिंग पेमेंट प्रभावित हो सकते हैं, यह समझने के लिए अपने बैंक से संपर्क करें.
ऐसा लगता है कि कई बैंकों और मर्चेंट को RBI के प्रपोज्ड सिस्टम में इंटीग्रेट करना बाकी है. इसलिए, आप तुरंत 1 अक्टूबर तक नए प्लेटफॉर्म पर अपने स्टैंडिंग इंस्ट्रक्शन को रीक्रिएट करने में सक्षम नहीं होंगे. ऐसे मामले में, आपको अपने बिलों पर नजर रखनी होगी, उनका अन्य तरीकों से मैन्युअली पेमेंट करना होगा और लेट पेमेंट पेनल्टी से बचना होगा. ऑटोमेटेड पेमेंट हमारे लिए आवश्यक हैं. पेमेंट सिस्टम हमारे बिलों को ऑटोमैटिकली ट्रैक करते हैं और ड्यू डेट से पहले उन्हे सेटल करते हैं, जिससे हमें पेमेंट मिस न होने और पेनल्टी से बचने में मदद मिलती है. नए प्लेटफॉर्म के लिए आपको इंस्ट्रक्शन रीक्रिएट करने की जरूरत होगी, ये आपको थोड़ी परेशानी का सबब लग सकता है लेकिन ये आपका फाइनेंस सुरक्षित रखेगा.
लेखक BankBazaar.com के CEO हैं