PMMY: कोरोना की दूसरी लहर के बाद अर्थव्यवस्था में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई है. देश में आंत्रप्रन्योरशिप और स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने आम जनता के बीच मुद्रा (माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी) लोन बांटने की रफ्तार को बढ़ाया है. नवीनतम सरकारी डेटा के मुताबिक सरकार ने 1 अप्रैल से 16 जुलाई के बीच हर दिन लोन बांटा गया, जिसकी स्वीकृत आंकड़े 48,888 करोड़ में हिस्सेदारी 48,619 करोड़ रुपये रहा है. अधिकारियों के मुताबिक “इस आंकड़े को समझें तो इस साल के शुरुआती 107 दिनों में 401 करोड़ रुपये रोजाना मुद्रा लोन (PMMY) के तहत बांटे गए. बाकी दूसरे सालों की तुलना में ये आंकड़ा आधा है, लेकिन महामारी के दौर में काफी बेहतर है.”
वित्त वर्ष 2018, 2019, 2020 और 2021 में मुद्रा लोन का रोजाना का औसत क्रमश: 675 करोड़, 853 करोड़, 903 करोड़ और 854 करोड़ रुपए है.
सरकारी अधिकारियों के मुताबिक एक बार जब दूसरी लहर का असर कम होगा, इसके रोजाना के आंकड़े में और इजाफा दर्ज किया जाएगा. जैसे जैसे आवेदन में इजाफा होगा.
उन्होंने ये भी कहा कि ” प्रधानमंत्री मुद्रा योजना यानि मुद्रा लोन के तहत इस साल हम शिशु लोन के तत्काल री-पेमेंट के लिए 2% ब्याज सब्सिडी का विस्तार करने पर विचार कर रहे हैं”
मुद्रा लोन के तहत तीन कैटेगरी आती हैं. सबसे छोटी को शिशु कहा जाता है, जिसमें 50 हजार तक का लोन दिया जाता है. अगला स्तर 50 हजार से 5 लाख रुपए तक का है, इसे किशोर कैटेगरी माना गया है.
जबकि तीसरी कैटेगरी का नाम तरुण है, जिसके तहत 5 से 10 लाख रुपए तक का लोन दिया जाता है.
लोन लेने वाला व्यक्ति तीनों कैटेगरी के तहत लोन नहीं ले सकता है. इस लोन पर ब्याज की दर 8.2% से 9.65% तक है. जो कि सरकार इसकों घटाकर 6.5% पर लाने का विचार कर रही है.
साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्रा लोन योजना की शुरुआत की थी. इसके तहत देश में आंत्रप्रन्योरशिप को बढ़ावा देना की योजना का मकसद है और अधिक से अधिक उद्यमी पैदा करना है.
तब से, लोन डिसबर्समेंट के आंकड़े में लगातार इजाफा हुआ है. वित्त वर्ष 2021 के पहला साल है, जब आंकड़े में 5.5% गिरावट दर्ज हुई है.
वेबसाइट पर दर्ज डेटा के मुताबिक मुद्रा लोन के तहत वित्त वर्ष 2021में 3.11 लाख करोड़ रुपए का लोन बांटा गया, जो बीते वित्त वर्ष 2020 में 3.30 लाख रुपए था.
वित्त वर्ष 2019 में मुद्रा योजना के तहत लोन 3.11 लाख करोड़ रुपए और वित्त वर्ष 2018 में 2.47 लाख करोड़ का लोन बांटा गया. वित्त वर्ष 2016 से लोन के अमाउंट को बांटने में अगले 4 सालों में क्रमश: 32%, 41%, 27% और 6% का इजाफा दर्ज हुआ है.
वित्त वर्ष 2016 से 2022 के बीच अभी तक सरकार योजना के तहत 15.6 लाख करोड़ रुपए का लोन बांट चुकी है.
भारत चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के अविक रॉय ने कहा कि “कोरोना महामारी की दूसरी लहर का असर डिसबर्समेंट के आंकड़े पर बेहद सीमित हुआ है.
हम उम्मीद कर रहे हैं कि वित्त वर्ष 2022 में ग्रोथ देखने को मिलेगी, तब लोन बांटने का आंकड़ा और बड़े स्तर पर बांटा जाएगा. पहली तिमाही के ट्रेंड को देखकर ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा है कि आने वाले वक्त में बेहतर रिजल्ट दिखाई देंगे.”
कॉमर्स और इंडस्ट्री चैंबर के मेंबर सुभाषिश रॉय ने बताया कि “हम आगे के लिए बेहतर उम्मीद लगाए हैं. जो गिरावट वित्त वर्ष 2021 में हुई है, उसे हर सेक्टर में वित्त वर्ष 2022 में कवर करने की कोशिश रहेगी.
इनमें नई आंत्रप्रन्योरशिप भी शामिल है. वित्त वर्ष 2022 के पहले तीन महीने और आधे साल के आंकड़े उत्साह बढ़ाने वाले हैं.”