पैसों से जुड़ी जानकारियां कहां रखते हैं भारतीय, क्यों हैं फ्रॉड की जद में? इस सर्वे से हुआ खुलासा

सर्वे में यह बात सामने आई है कि तीन में से एक भारतीय पर्सनल जानकारी जैसे बैंक अकाउंट, डेबिट-क्रेडिट कार्ड, ATM पिन को मोबाइल, कंप्यूटर में सेव करता है

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पिछले कुछ सालों में हमारे देश में डिजिटल टेक्नोलॉजी का उपयोग तेजी से बढ़ा है. हालांकि इंटरनेट का उपयोग बढ़ने के साथ ही देश में साइबर क्राइम भी तेजी से बढ़ रहा है. देश की एक बड़ी आबादी बढ़ते साइबर क्राइम और अपनी पर्सनल जानकारी को लेकर आज भी गंभीर नहीं है. लोकल सर्कल की ओर से किए गए एक सर्वे में यह बात सामने आई है कि हर तीन में से एक भारतीय पर्सनल जानकारी जैसे बैंक अकाउंट, डेबिट-क्रेडिट कार्ड, ATM पिन, आधार-पैन कार्ड को मोबाइल, कंप्यूटर या फिर ईमेल में सेव करके रखता है. जबकि मात्र 21% लोग ही अपनी पर्सनल फाइनेंशियल जानकारी याद रखते हैं.

देश में है डेटा सिक्योरिटी की जानकारी की कमी

हमारे देश में कई लोगों इस बात की जानकारी ही नहीं है कि उन्हें अपनी पर्सनल इनफॉर्मेशन कहां और किस तरह रखनी चाहिए. डेटा सिक्‍योरिटी की जानकारी के अभाव में 33 फीसदी भारतीय फाइनेंस से जुड़ी अपनी पर्सनल जानकारी को कंप्यूटर में सेव कर देते हैं. जबकि 7 फीसदी लोगों के मुताबिक उन्होंने बैंक अकाउंट, डेबिट कार्ड के CVV , एटीएम पासवर्ड, आधार, पेन नंबर आदि की जानकारी फोन में सेव कर रखी है.

वहीं 11 फीसदी लोगों ने माना कि उन्होंने ये सारी जानकारी अपनी कांटेक्ट लिस्ट में शामिल कर रखी है. यह स्थिति उस समय है जब हमारे देश में बढ़ी संख्या में लोगों को बैंक अकांउट है और ये लोग फोन का भी इस्तेमाल करते हैं.

सर्वे में ये बातें आई सामने

लोकल सर्कल की ओर किए गए सर्वे में मात्र सिर्फ 21% लोगों ने माना कि वो अपनी पर्सनल फाइनेंशियल जानकारी याद रखते हैं. जबकि 39% लोगों ने माना कि वह अपनी निजी जानकारी पेपर पर लिखकर रखते हैं.

वहीं, 29% लोग डेबिट कार्ड पिन को अपने फैमिली मेंबर्स के साथ शेयर करते हैं. जबकि 4% लोगों ने डेबिट कार्ड पिन को घर में या ऑफिस में काम करने वाले लोगों के साथ शेयर करते हैं.

इन लोगों में 7% लोगों को पता ही नहीं है कि उनकी जानकारी कहां हो सकती हैं.

इतने लोगों पर किया गया सर्वे

देश के 393 जिलों के लगभग 24,000 लोगों को इस सर्वे में शामिल किया गया है. जिसमें 63% पुरुष जबकि 37% महिलाएं शामिल हैं. इन सभी में 45% मेट्रो टियर 1 के लोग हैं, जबकि 31% मेट्रो टियर 2 और 24% मेट्रो टियर 3 शहरों और गांवों के लोगों को शामिल किया गया है.

Published - September 7, 2021, 06:12 IST