इमरजेंसी क्रेडिट स्कीम (Emergency Credit Scheme) पर एक साल का मोरेटोरियम जल्द ही खत्म होने वाला है. ऐसे में बैंक्स और नॉन-बैंक्स को बैड लोन की चिंता सता रही है. उन्हें लगता है कि मोरेटोरियम खत्म होने के बाद बैड लोन का नया दौर शुरू हो सकता है. उधार देने वाले संस्थानों का मानना है कि बहुत से मिड-कॉर्पोरेट और MSME जिन्होंने डिमांड रिवाइवल की उम्मीद में उधार लिया था, उन्हें रिपेमेंट प्रेशर का सामना करना पड़ सकता है.
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में एक्सिस बैंक के एमडी अमिताभ चौधरी के हवाले से कहा गया है कि, ‘दर्द अभी बाकी है क्योंकि मोरेटोरियम का एक साल अब खत्म हो रहा है, इसलिए कर्जदारों को मूल बकाया चुकाना शुरू करना होगा.’ उन्होंने कहा, ‘बहुत से ग्राहकों ने इस उम्मीद में क्षमता का विस्तार किया था कि उनकी योजनाएं फलीभूत होंगी जो नहीं हो पाई. इसलिए मुझे लगता है कि वहां अभी भी कुछ दर्द बाकी है.’
सरकार ने पिछले साल महामारी से प्रभावित व्यवसायों की सहायता के लिए इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ECLGS) की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत, सरकार छोटे व्यवसायों को दिए गए ऋण पर बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को 100% गारंटी कवरेज प्रदान करती है. इस योजना के तहत, ऋण अधिकतम चार साल की अवधि के लिए दिया जाता है और एक साल का मोरेटोरियम केवल मूल राशि पर लागू होता है. मोरेटोरियम खत्म होने के बाद मूल ऋण को 36 महीनों में चुकाना होगा.
उधार देने वाली संस्थाओं को लगता है कि कई कर्जदार अभी भी दूसरी कोविड लहर के प्रभाव से जूझ रहे हैं. ऐसे में इनके लोन बैड लोन लोन में परिवर्तित हो सकते हैं. एक NBFC के CEO ने कहा, ‘छोटे व्यवसाय वाले कई कर्जदार अपने ब्याज का भुगतान भी समय पर नहीं कर पा रहे हैं, मुझे लगता है कि वे मूल बकाया भुगतान का बोझ नहीं उठा पाएंगे.’
सरकार के अनुसार, अपनी स्थापना के बाद से, ECLGS ने 24 सितंबर तक 1.15 करोड़ से अधिक MSMEs और बिजनेसों को लोन दिया है. स्कीम के तहत आवंटित ₹4.5 लाख करोड़ की तुलना में ₹2.86 लाख करोड़ का लोन डिसबर्स किया जा चुका है. योजना की वैधता को हाल ही में 31 मार्च, 2022 तक बढ़ा दिया गया था, और डिस्बर्समेंट की अनुमति 30 जून, 2022 तक दी गई है.