आर्थिक सुधार और कोविड-19 मामलों की संख्या में कमी के साथ माइक्रोफाइनेंस लोन का रीपेमेंट जुलाई के आखिर तक औसतन लगभग 90% तक बढ़ गया है. मई-जून में यह 65-75% के निचले स्तर पर था. इंडस्ट्री का मानना है कि तीसरे क्वार्टर से पहले ये बिजनेस पहले की तरह अपनी स्थिति में वापस नहीं आ पाएगा. ऐसा इसलिए क्योंकि अभी भी कोविड-19 की दूसरी लहर का प्रभाव महसूस किया जा रहा है. वहीं अप्रैल-जून की अवधि में सेक्टोरल लोन वॉल्यूम 14% घट गया है.
बंधन बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर चंद्रशेखर घोष ने कहा, हम दुर्गा पूजा के आसपास रिकवरी की उम्मीद कर रहे हैं. इस समय माइक्रोफाइनेंस कंपनियों का बिजनेस बढ़ता है. लेकिन अगर तीसरी लहर आती है, तो रिकवरी में एक और तिमाही की देरी हो सकती है.
बकाया लोन के मामले में सबसे बड़ी NBFC-MFI क्रेडिट एक्सेस ग्रामीण ने कहा कि उसकी कलेक्शन एफिशिएंसी (Efficiency) जून में 81 फीसदी की तुलना में जुलाई में बढ़कर 91 फीसदी (एरियर पेमेंट को छोड़कर) हो गई है. उज्जीवन स्मॉल फाइनेंस बैंक की कलेक्शन एफिशिएंसी जुलाई में बढ़कर 93% हो गई, जो जून में 78% थी. वहीं सूर्योदय स्मॉल फाइनेंस बैंक की एफिशिएंसी 70% के मुकाबले 79% बढ़ी है. बंधन बैंक की जून में माइक्रो लोन्स में कलेक्शन एफिशिएंसी 77% थी.
सबसे पुरानी माइक्रोफाइनेंस इंडस्ट्री एसोसिएशन, सा-धन (Sa-Dhan) के कलेक्ट किए गए आंकड़ों के अनुसार, सभी माइक्रोफाइनेंस लेंडर्स (lenders) ने जून तिमाही में सामूहिक रूप से 25,820 करोड़ रुपये डिस्बर्स किए, जो मार्च तिमाही की तुलना में 14% कम था.
लेंडर्स ने भविष्य में संभावित क्रेडिट रिस्क को कवर करने के लिए जून तिमाही में अपने लोन प्रोविजन्स को बढ़ाया है जिससे उनकी प्रॉफिटेबिलिटी पर असर पड़ा है. सैटिन क्रेडिटकेयर नेटवर्क के चेयरमैन एचपी सिंह ने कहा, हम उम्मीद करते हैं कि सितंबर तक लोन डिसबर्समेंट और रीपेमेंट दोनों मार्च के लेवल (कोविड की दूसरी लहर से पहले की स्थिति में) तक आ जाएंगे.
इस सेक्टर का ग्रॉस लोन आउटस्टैंडिंग तीन महीने पहले के 2,49,333 करोड़ रुपये से 14% गिरकर 2,14,528 करोड़ रुपये हो गया है.
सा-धन के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पी सतीश ने कहा, ‘जुलाई के बाद से हमने माइक्रोफाइनेंस ऑपरेशंस में रिकवरी देखी है’. सतीश ने कहा, ‘तीसरी लहर, अगर आती है, तो और मुश्किल पैदा कर सकती है. जब हम कोविड-19 के प्रभाव से बाहर आ रहे थे, तो दूसरी लहर आ गई थी.’